Tuesday, June 17, 2014

Soccer or Farming, If you Know the Problem Remedy will Happen - Management Funda - N Raghuraman - 17th June 2014

फुटबॉल हो या खेती, समस्या समझें तो समाधान हो जाएगा


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


दक्षिण अफ्रीका के मलावी में गैब्रियल छोटे किसान हैं। उनके पास दो एकड़ जमीन है। इस 30 साल के किसान के होंठों पर मुस्कुराहट है, क्योंकि तीन महीने की मेहनत के बाद खेत में मक्के की बंपर पैदावार हुई है। परिवार में पत्नी, दो बच्चे व माता-पिता हैं। लेकिन आठ साल पहले गैब्रियल के लिए इनका पेट भरना मुश्किल था। उस दौर में उन्हें परिवार के लिए दो वक्त के भोजन का इंतजाम करने के लिए दूसरों के खेतों में भी काम करना पड़ता था। 

2011 के बाद उनके हालात में सुधार हुआ और लगातार स्थिति सुधरती गई। कैसे हुआ यह सब? साल 2010 में उन्होंने अपना नाम एक खास कार्यक्रम के लिए रजिस्टर कराया। इस कार्यक्रम में किसानों को खेतों में पैदावार बढ़ाने के टिप्स दिए जाते थे। इससे गैब्रियल को काफी फायदा हुआ। 

 Source: Soccer or Farming, If you Know the Problem Remedy will Happen - Management Funda - N Raghuraman - Dainik Bhaskar 17th June 2014


 उन्होंने फसल चक्र इस्तेमाल करना शुरू किया। सिंचाई के भी आधुनिक तरीके अपनाए। संकर और उन्नत किस्म के बीजों का उपयोग किया। शानदार नतीजा सामने आया। मलावी के कई किसानों को इस कार्यक्रम के जरिए इसी तरह के फायदे मिले हैं। और इस इलाके में यह परिवर्तन कौन लाया है।

 इंग्लैंड के पूर्व फुटबॉलर और गोलकीपर डेविड जेम्स। अचरज हुआ न? डेविड अच्छी तरह जानते थे कि अगर एक बार समस्या समझ ली गई तो फिर खेतीबाड़ी फुटबॉल के मैदान पर गोल बचाने जैसी सहज हो जाएगी। और हुआ भी यही। 

2005 में डेविड को फुटबॉल एसोसिएशन ने अफ्रीकन देशों में आमंत्रित किया था। एचआईवी और एड्स के खिलाफ जागरुकता अभियान के सिलसिले में। इस दौरे के समय उन्होंने उन देशों में किसानों की दुर्दशा देखी। उन्होंने देखा कि हर जगह फसलें तबाह हो रही हैं। इस पर भी महामारी, सूखा और अकाल की समस्याओं ने लोगों की कमर तोड़ रखी है। 

और विडंबना देखिए कि मलावी में कुल जमीन के पांचवें हिस्से में झील भी थी, लेकिन यह समझना मुश्किल था कि लोग इसका पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल क्यों नहीं करते। या मक्के के अलावा दूसरी फसल क्यों नहीं उगाते। इन हालात ने डेविड को सोचने पर मजबूर कर दिया। उस वक्त तो वे दौरे के बाद इंग्लैंड लौट आए, लेकिन यह बात उनके दिमाग में अटक गई। इसी बीच उनकी मुलाकात मलावी के पूर्व कृषि मंत्री से हुई। उन्होंने टिकाऊ खेती के विषय में उनसे काफी चीजें समझीं। 

मलावी के हालात और वहां किसानों की समस्या के समाधान पर भी विचार हुआ। इस मुलाकातों में डेविड को दक्षिण डेवोन के एक किसान निक रियू के बारे में पता चला। निक जैविक खेती के विशेषज्ञ थे। खुद भी जैविक खेती करते थे। उन्होंने डेविड जेम्स फाउंडेशन की स्थापना की। विशेषज्ञों से बात कर पता चला कि मलावी के किसानों के परंपरागत तौर-तरीके उनकी गरीबी का एक बड़ा कारण है। 

डेविड ने तय कर लिया कि अब वे इन किसानों को खेतीबाड़ी में आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करेंगे। उन्होंने मलावी के खेतों का निरीक्षण किया। मिट्टी, मौसम, माहौल आदि का परीक्षण किया। पाया कि मिट्टी रेतीली है। बारिश भी ज्यादा भरोसेमंद नहीं है। वहां के हालात के अनुकूल एक कार्यक्रम तैयार किया गया और किसानों को कुछ खास किस्म की गेहूं, और सूरजमुखी की फसल लेने की सलाह दी गई। 

इन फसलों की जड़ें जमीन में गहराई तक जाती हैं। वहां से जरूरी नमी और पौष्टिक तत्व खुद ही ले लेती हैं। शुरुआत में इन नए प्रयोगों का ज्यादा असर नहीं हुआ, लेकिन आज मलावी के 5,000 किसान डेविड के फाउंडेशन की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम से लाभ ले चुके हैं।


 फंडा यह है कि...


कुछ भी हो, फुटबॉल का मैदान या खेती की जमीन। समस्या को समझने और उसका समाधान निकालने का काम कोई भी कर सकता है। यह वो विधा है, जिससे कोई भी खेल सकता है।



Management Funda By N Raghuraman


































 Source: Soccer or Farming, If you Know the Problem Remedy will Happen - Management Funda - N Raghuraman - Dainik Bhaskar 17th June 2014

No comments:

Post a Comment