Friday, June 20, 2014

Excessive Praises Can Make People Go On Wrong Path - Management Funda - N Raghuraman - 20th June 2013

ज्यादा तारीफ से भी इंसान गलत रास्ते पर चला जाता है


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



पूर्वोत्तर के बच्चों के बीच मेघालय के तुरा में स्थित डॉन बॉस्को कॉलेज काफी लोकप्रिय है। पूरे क्षेत्र में यह संस्थान अपनी क्वालिटी एजुकेशन के लिए जाना जाता है। रैप्युश सीएच. संगमा ने इसी संस्थान से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करते ही उसे नौकरी भी मिल गई। 

गारो हिल्स में मनरेगा की निगरानी के लिए उसे विलेज सेक्रेटरी बना दिया गया। इस काम में तारीफ तो मिलती ही है, शक्ति संपन्न होने का भी अहसास होता है। संगमा के साथ भी यही हुआ। काम के दौरान उसके गांव वालों से अच्छे संबंध बन गए। इससे उसकी महात्कांक्षा बढ़ती गई। 


Source: Excessive Praises Can Make People Go On Wrong Path - Management Funda By  N. Raghuraman - Dainik Bhaskar 20th June 2013 


संगमा के अंदर और ज्यादा ताकतवर होने की इच्छा पनपने लगी। इसी के चलते उसने फरवरी में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ लिया। लेकिन रोंगजेंग विधानसभा सीट से उसे सिर्फ 1,600 वोट मिले। 

प्रचार में काफी पैसा खर्च करने के बावजूद वह पांचवें नंबर पर रहा। हालांकि इसके बाद भी उसके भीतर सत्ता और शक्ति की भूख खत्म नहीं हुई। कॉलेज छोड़ते ही मिली नौकरी के कारण लोग उसे 'सर' जो कहने लगे थे। वह राजनैतिक तौर पर हार मानने को तैयार नहीं था। महात्वाकांक्षा के चलते उसने जीएनएलए ज्वाइन कर ली।
 
जीएनएलए (गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी) मेघालय का प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। संगमा एक साल के भीतर ही इस संगठन में तरक्की की सीढिय़ां चढ़ता हुआ डिप्टी चेयरमैन बन गया। संगठन में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था। यहां तक कि सरगना सोहन डी. शीरा भी चौथी कक्षा तक ही पढ़ा था। 

दूसरी तरफ संगमा शिक्षित तो था ही, तकनीक का भी जानकार था। इसी का उसे फायदा मिल रहा था। जीएनएलए 2009 में बना। यह संगठन मेघालय और आसपास रहने वाले गारो लोगों के लिए अलग गारोलैंड की मांग कर रहा है। यही उसका मकसद है।

मेघालय में खासी समुदाय के बाद गारो लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है। इसी की आड़ में जीएनएलए की गतिविधियां चल रही हैं। यह संगठन कई बम धमाकों, वसूली, हमलों आदि में लिप्त रहा है। चार महीने पहले संगठन की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने जब सख्ती बरती तो संगमा फरार हो गया। 

कोई नहीं जानता था कि वह देश के किस कोने में छिपा है। लेकिन पुलिस को यकीन था कि वह संगठन के लोगों के लगातार संपर्क में बना हुआ है। खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए। लिहाजा, पुलिस ने उसे इसी जरिए से तलाशने की कोशिश की।

संगमा पढ़ा-लिखा तो था ही। सत्ता, शक्ति और तारीफ का भी भूखा था। इसी सब ने उसे फेसबुक पर लगातार सक्रिय रखा हुआ था। और इसी से पुलिस को इस 36 साल के आतंकी का सुराग मिल गया। मेघालय पुलिस ने उसका फेसबुक अकाउंट ढूंढ निकाला। उस पर लगातार निगरानी रखी जाने लगी। 

मालूम हुआ कि वह पत्नी और दो बच्चों को लेकर मेघालय से बेंगलुरू चला गया है। वहां ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा है। सचेत संगमा वहां हर 15 दिन में अपने रहने का ठिकाना बदल रहा था। उसके पास कम से कम 20 सिमकार्ड, 10 स्मार्टफोन और एक टेबलेट था।

खुद के और ससुर के नाम पर दो एटीएम कार्ड व एक लैपटॉप भी था। जिन घरों में वह रहने जाता वे भी हर तरह की सुख-सुविधा से संपन्न होते थे। पैसे की संगमा के पास कमी नहीं था। अपहरण, फिरौती आदि के जरिए उसने काफी धन जुटा लिया था। 

लेकिन तारीफ और सत्ता की भूख ने उसे आखिरकार कानून के हत्थे चढ़ा ही दिया। फेसबुक पर उसके लगातार अपडेशन को फॉलो करते हुए मेघालय पुलिस बेंगलुरू जा पहुंची। वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया। औपचारिक कानूनी कार्यवाही के बाद उसे बेंगलुरू से मेघालय ले जाया जा चुका है।


फंडा यह है कि...


ज्यादा मिठाई खाने से डायबिटीज हो जाती है। इसी तरह सत्ता, शक्ति और तारीफ जितनी ज्यादा मिले, उतनी ही उसकी भूख बढ़ती जाती है। इसी के चलते लोग कई बार रास्ता भटक जाते हैं। बीमारी के शिकार हो जाते हैं। 

 

Management Funda By  N. Raghuraman

 

Source: Excessive Praises Can Make People Go On Wrong Path - Management Funda By  N. Raghuraman - Dainik Bhaskar 20th June 2013

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