ई-कॉमर्स की अनदेखी अाप अपने जोखिम पर ही करें
मैनेजमेंट फंडा - एन.रघुरामन
कुछ समय पहले दैनिक भास्कर में जयपुर के अरविंद जुनेजा के बारे में खबर छपी। अरविंद ई-बे पर नियमित रूप से सामान बेचते हैं। उन्होंने वेबसाइट पर कुछ दिन पहले 3.69 कैरेट का माणिक (रूबी) बेचने के लिए लिस्टेड किया। इसे बाद में एक अमेरिकी ने 8,20,000 रुपए में खरीदा। यह ई-बे पर ई-कॉमर्स के जरिए तब तक बिका सबसे महंगी रत्न था। इस मिसाल का मकसद यह बताना है कि ई-बे, फ्लिपकार्ट, अमेजन, जबोंग स्नैपडील जैसी कंपनियां देश में जगह बना रही हैं।
साल 2014 में फ्लिपकार्ट ने ही 5,290 करोड़ रुपए का बिजनेस कर लिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में ई-कॉमर्स में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी और होने की उम्मीद है। पिछले साल भी ई-कॉमर्स इंडस्ट्री ने 63,480 करोड़ रुपए का व्यवसाय किया है। साफ है कि देश में ई-कॉमर्स कंपनियां पैर जमाने के संकेत दे रही हैं। उनकी योजनाएं देखकर भी ऐसा लगता है। ये कंपनियां 60,000 कर्मचारियों को भर्ती करने जा रही हैं। कहा तो जा रहा है कि यह आंकड़ा एक लाख तक भी जा सकता है।
Source:Ignore E-commerce at Your Own Risk - Inspirational and Motivational Story in Management Funda - N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st September 2014