Friday, March 21, 2014

A Foundation is Much Stronger Than A Fortress Built By Us - Management Funda - N Raghuraman - 21st March 2014

हमारे बनाए किले से मजबूत उसकी नींव होती है 

 

मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



रविवार को देश के दो प्रमुख चैनलों पर आमिर खान का सीरियल 'सत्यमेव जयते' प्रसारित होता है। जिस वक्त यह सीरियल चल रहा होता है आमिर देश भर से मिली प्रतिक्रियाओं का आकलन करने में लगे रहते हैं। उनकी पत्नी किरण भी व्यस्त रहती हैं, लेकिन वे क्या करती हैं। पिछले हफ्ते की ही बात है। इस सीरियल में कचरा प्रबंधन का मुद्दा उठाया जा रहा था। 
 
कचरे को कैसे निपटाया जाए इस पर चर्चा चल रही थी, लेकिन किरण कश्यप ग्रुप से ऑर्गेनिक फूड की खरीदारी करने में लगी थीं। कश्यप ग्रुप 350 किसानों का समूह है। ये सभी वे लोग हैं जो सिर्फ जैविक कृषि उत्पादों को उगाने और उन्हें इस्तेमाल करने पर यकीन रखते हैं। किरण भी इनसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने परिवार के लिए कैमिकल-फ्री फूड खरीद रही थीं।

कश्यप ग्रुप के संजय पवार व साडू भाऊ शेलके ऑनलाइन संडे बाजार लगाते हैं। यहां वे ऑर्गेनिक उत्पादों से जुड़े ऑर्डर लेते हैं। एक और शख्सियत हैं, जयवंत पाटिल। सिर्फ 27 साल के हैं। पुणे की एक अग्रणी टेक्नोलॉजी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन सप्ताह में सिर्फ चार दिन। बाकी तीन दिन वे अपने ऑर्गेनिक फार्म हाउस पर काम करते हैं। पुणे से करीब 85 किलोमीटर दूर उनका 2.5 एकड़ का फार्महाउस है। जयवंत के साथ 12 किसानों का समूह है। ये सभी लोग ऑर्गेनिक खेती तो करते ही हैं, कीटनाशक और खाद भी इसी तरह से बनाते हैं, गोबर, गौमूत्र और पत्तियों के इस्तेमाल से।
 
Source: A Foundation is Much Stronger Than A Fortress Built By Us - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st March 2014 

Ashutosh Gowariker's Film - Mohenjo daro - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 21st March 2014

आशुतोष गोवारिकर की फिल्म मोहनजोदड़ो


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे 


आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'मोहनजोदड़ो' में ऋतिक रोशन ने काम करना स्वीकार कर लिया है। इस टीम ने 'जोधा अकबर' नामक सार्थक सफल फिल्म की रचना की थी और उस दौर में इतिहास आधारित यह कल्पना मात्र चालीस करोड़ में बननी संभव हुई क्योंकि ऋतिक और ऐश्वर्या राय बच्चन का मेहनताना आज की तरह आकाश नहीं छू रहा था। 
 
उस दौर में उद्योग के विशेषज्ञों का ख्याल था कि 'मुगले आजम' इस तरह दर्शक के अवचेतन में दर्ज है कि आशुतोष की चेष्टा तुलना में मार खा सकती है, जबकि एक ही काल खंड पर ये दो अलग कहानियां थीं और तुलना की आवश्यकता ही नहीं थी। दर्शक तुलना के चक्कर में नहीं पड़े और जोधा अकबर की प्रेमकथा का आनंद लेने में सलीम-अनारकली का पूरी तरह काल्पनिक अफसाना बाधा नहीं बना। 
 
Source: Ashutosh Gowariker's Film - Mohenjo daro - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 21st March 2014

Thursday, March 20, 2014

Economic Clean Up is Necessary to Avoid Financial Mess - Management Funda - N Raghuraman - 20th March 2014

गड़बड़ी से बचने के लिए आर्थिक साफ-सफाई जरूरी


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन

 

लॉरेन स्कॉट को कौन नहीं जानता। हॉलीवुड के लगभग सभी बड़े सेलिब्रिटी इनके कद्रदान हैं। चाहे वह निकोल किडमैन हों, एंजेलिना जोली, पेनीलोप क्रूज या कोई और। ये वे नाम हैं जो कभी न कभी बेस्ट एक्टर या एक्ट्रेस के तौर पर ऑस्कर अवॉर्ड जीत चुके हैं। और सभी स्कॉट के दोस्त। आज से नहीं 20-25 साल से। इन सभी हॉलीवुड कलाकारों के  कपड़े स्कॉट ही  डिजाइन करती थी। यही नहीं, वे उन्हें सलाह भी देती थीं कि कहां, क्या पहनकर जाएं। अवॉर्ड फंक्शन के रेड कारपेट पर चलना हो तो कैसे चलें। स्टाइल और फैशन से जुड़ी हर चीज इन कलाकारों को स्कॉट ही बताती थीं। सभी सेलिब्रिट के लिए स्कॉट की सलाह काफी अहम थी। अपने डिजाइन किए हुए कपड़ों में स्कॉट काले रंग पर काफी प्रयोग करती थीं। 

अभी हाल ही में उन्होंने ऑस्कर की अवॉर्ड विजेता हीरोइनों के लिए नई डिजाइन्स तैयार की थीं। इनमें नीले रंग को अपने फैवरेट काले की तरह इस्तेमाल किया। स्कॉट के प्रतिद्वंद्वी डिजाइनर भी उनकी कद्र करते थे। चाहे वह मिशेल एडम्स हों, जॉर्जियो अरमनी या केल्विन क्लेन। सब स्कॉट की डिजाइन्स पर नजर रखते थे। स्कॉट ने कॅरिअर की शुरुआत सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट के तौर पर की। कई फिल्मों में कलाकारों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए। 

Source: Economic Clean Up is Necessary to Avoid Financial Mess - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 20th March 2014

Yael Farber - Poorna Jangannathan: From Ahilya to Nirbhaya - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 20th March 2014

फॉरबर-पूरना जगनाथन: अहिल्या से 'निर्भया' तक


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे


दशकों पूर्व पढ़ी एक कविता का आशय कुछ इस प्रकार था कि दो पड़ोसी मित्र अपने-अपने घर के खिड़की के पास बैठकर शराब पीते थे। एक दिन एक मित्र ने शराब का गिलास भरा परंतु पिया नहीं क्योंकि उसने यह तय किया था कि अब वह उसी दिन पियेगा जिस दिन मीडिया में किसी दुष्कर्म की खबर नहीं छपेगी। गोयाकि एक सर्वथा दुष्कर्म विहीन दिन ही उसे इतमीनान से पीने की इजाजत देगा। वर्षों तक वह रोज गिलास भरता उसे देखता परंतु पीता नहीं था। एक दिन उसने पड़ोसी से कहा कि आज कहीं से उस बर्बरता की खबर नहीं है, चीयर्स, कहकर उसने जाम मुंह तक लाया कि पड़ोसी मित्र चीखा कि तेरी बेटी का अपहरण हो रहा है, नीचे गली में गुंडे उसे उठा रहे हैं। दोनों दौड़कर नीचे पहुंचे और गुंडों की जीप का गुबार देखते रहे। 
 
अठारह मार्च को शाम साढ़े सात बजे मुंबई के एन.सी.पी.ए. टाटा थियेटर में लेखिका निर्देशक फॉरबर और निर्माता-अभिनेत्री पूरना जगनाथन का नाटक 'निर्भया' मनमोहन शेट्टी की एडलैब्स के सौजन्य से देखने का सौभाग्य मिला और उसके साथ ही मिला एक बेचैन सा रतजगा जिसमें मैंने गिलास तो भरा परंतु पिया नहीं क्योंकि अब तक 16 दिसंबर 2012 की मनहूस रात को राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया के दुष्कर्म के बारे में मीडिया में बहुत कुछ जारी हुआ पढ़ा था और उसके दर्द को महसूस करने की चेष्टा भी की थी परंतु फॉरबर और पूरना की प्रस्तुति में पहली बार लगा कि मैं उस बर्बर घटना का चश्मदीद गवाह हूं और मेरी आंखों के सामने सब कुछ हुआ है तथा मैं केवल भरे गिलास को देखते हुए महानगरीय संवेदनहीनता से ग्रस्त एक पाखंडी व्यथित हूं। मैं अब तक गमजदा होने का अभिनय करता रहा हूं और आज पहली बार निर्भया की चीख मेरे मन में गूंज रही है। संभवत: निर्भया त्रासदी को टाटा थियेटर में मौजूद हजार लोगों ने पहली बार इस शिद्दत से जाना। नाट्य विद्या को भी सलाम। 
 
Source: Yael Farber - Poorna Jangannathan: From Ahilya to Nirbhaya - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 20th March 2014

Wednesday, March 19, 2014

Best Performance is Achieved in Now or Never Situations - Management Funda - N Raghuraman - 19th March 2014

अभी या कभी नहीं वाले हालात में होता है सबसे बढिय़ा प्रदर्शन


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


दिल्ली का त्यागराज इंडोर स्टेडियम। वहां आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक कार्यक्रम रखा गया था। इसके कुछ देर बाद ही वहां महिलाओं की दो टीमों के बीच बास्केटबॉल का मैच आयोजित था। नेशनल वूमन बास्केटबॉल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम करने के लिए ये टीमें आपस में भिड़ रही थीं। इंडियन रेलवे और छत्तीसगढ़ की महिला टीमों के बीच मुकाबला था।

जब से यह प्रतियोगिता शुरू हुई, रेलवे की महिला टीम 29 बार खिताब जीत चुकी थी। ताजा मैच में वह 38-45 से आगे थी। लेकिन छत्तीसगढ़ की टीम भी कमजोर नहीं थी। छत्तीसगढ़ की टीम में 21 साल की कविता कुमारी भी शामिल थीं। वे दुर्ग में रेलवे क्लर्क हैं। इसके बावजूद रेलवे ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करने लायक नहीं समझा।

एक अन्य सदस्य पूनम चतुर्वेदी सिर्फ 18 साल कीं। उन्हें ब्रेन ट्यूमर है और इसकी जानकारी उन्हें छह महीने पहले ही मिली। वे पिछले कुछ समय से लगातार खेल में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही थीं। हालांकि उन्होंने अपनी खेल में नाटकीय तौर पर सुधार किया और अब वे छत्तीसगढ़ की टीम का हिस्सा हैं। साथ ही नेशनल जूनियर टीम की सदस्य भी।

Source: Best Performance is Achieved in Now or Never Situations - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 19th March 2014

Garbage Disposal System and System's Garbage - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 19th March 2014

कचरे की व्यवस्था और व्यवस्था का कचरा

 

परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे 

 

आमिर खान ने अपने कार्यक्रम 'सत्यमेव जयते' के दूसरे सत्र के तीसरे इतवार को कचरे की समस्या को प्रस्तुत किया। उनके शोध विभाग ने कड़ा परिश्रम किया था और सच तो यह है कि कचरे का विषय उठाना ही प्रशंसनीय है। किसी मुंबई निवासी को नहीं ज्ञात था कि मुंबई पालिका प्रतिवर्ष 2300 करोड़ रुपए मात्र एकत्रित कचरे को शहर से दूर डम्पिंग मैदान पर डालने में खर्च करती है और हजारों टन कचरे के पहाड़ बन जाते हैं, गोयाकि धरती की गंदगी आसमान से सवाल कर रही है।

कुछ महानगरों ने विदेशों से कचरे को जलाने के लिए बड़े इनसिनेरटर खरीदे हैं परन्तु वे ज्ञानी अफसर यह तथ्य नहीं जानते कि पश्चिम के कचरे में खाली बोतलें, प्लास्टिक के डिब्बे और बैटरियां इत्यादि होते हैं, जबकि भारत में 'गीले कचरे' का प्रतिशत 'सूखे कचरे' से कहीं अधिक होता है और यह 'गीला कचरा' बायोगैस बनाने के काम आ सकता है और इससे बनाई गई खाद हजारों एकड़ बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ बना सकती है। यह खाद केमिकल खाद की तरह हानिकारक नहीं है, वरन् जमीन की उर्वरकता को बढ़ाते हुए उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। 'गीले कचरे' का अर्थ है हमारा बचा-खुचा खाना, फलों के छिलके और सब्जियों के डंठल इत्यादि जबकि 'सूखे कचरे'का अर्थ प्लास्टिक, कांच पॉलीथीन की थैलियां इत्यादि होता है। 

Source: Garbage Disposal System and System's Garbage - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 19th March 2014

Sunday, March 9, 2014

Your Creativity Should Touch The Hearts, Not Out of The Heart - Management Funda - N Raghuraman - 9th March 2014

आपकी क्रिएटिविटी दिल में उतरनी चाहिए, दिल से उतरनी नहीं चाहिए


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन

 

शब्दों का जादूगर :

आठ मार्च 1921 के दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन मशहूर शायर अब्दुल हई का भी जन्म हुआ था। प्रकृति के साथ स्त्री व पुरुष के प्यार को बेहद खूबसूरती के साथ जोडऩा उनकी खासियत थी। उनकी कलम से निकले अल्फाजों का एक उदाहरण ये है कि


पेड़ों की शाखों पे सोई-सोई चांदनी,
तेरी ख्यालों में खोई-खोई चांदनी,
और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी,
रात ये बहार की फिर कभी न आएगी,
दो एक पल और है ये समां,
सुन जा दिल की दास्तां.


अपनी कलम से निकले शब्दों से उन्होंने एक सरगम की एक अनोखी दुनिया बुनी। इन्हीं शब्दों ने सदाबहार गीतों का रूप लिया। ऊपरी दी गई पंक्तियां 'जाल' फिल्म की हैं। हुई साहब ने बाद में अपना तखल्लुस (पेन नेम) साहिर रख लिया। जिसका मतलब होता है 'जादूगर'। शब्दों के इस जादूगर को दुनिया साहिर लुधियानवी के नाम से जानती है। अपनी कृतियों में साहिर साहब ने प्रकृति को शामिल किया। उन्होंने प्यार की भावनाओं को ऐसी अभिव्यक्ति दी जो सदा के लिए अमर हो गई। 
 
Source: Your Creativity Should Touch The Hearts, Not Out of The Heart - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 9th March 2014 

Saturday, March 8, 2014

Women Can Be Stronger Than Men If They Are Determined - Management Funda - N Raghuraman - 8th March 2014

महिलाएं दृढ़ हों तो पुरुषों से ज्यादा ताकतवर साबित हो सकती हैं


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन 

 

वह अपने घर में अकेली संतान थी। इसलिए उसे खूब लाड़-दुलार मिला। पढ़ाई-लिखाई भी अच्छी हुई। उसके परिवार के पास एक हिल स्टेशन पर बड़ी जमीन थी। उसमें कॉफी की खेती होती थी। इससे उसका परिवार समृद्ध लोगों की जमात में शामिल था। जब वह 17 साल की हुई तो उसके माता-पिता को चिंता हो गई। उन्हें अहसास हुआ कि उनकी बेटी तो अब शादी लायक हो गई है। उन्होंने उसके लिए योग्य लड़का ढूंढना शुरू किया। किस्मत से उन्हें ऐसा लड़का मिल भी गया। जाहिर है इसके बाद उन्होंने देर नहीं की। जैसे ही उसने 18 साल की उम्र पूरी की, उसके माता-पिता ने उसकी शादी कर दी। 

Source: Women Can Be Stronger Than Men If They Are Determined - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th March 2014

Women Centric Film on Women's Day - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 8th March 2014

महिला दिवस पर महिला केंद्रित दो फिल्में

 

परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है और शुक्रवार को प्रदर्शित तीन फिल्मों में से दो फिल्मों में केंद्रीय पात्र महिलाएं हैं। 'क्वीन' की नायिका मध्यम वर्ग की मामूली तौर पर थोड़ी-सी पढ़ी-लिखी है और एक लंबी विदेश यात्रा में स्वयं को खोजने का प्रयास कर रही है। 'गुलाब गैंग' की नायिका रज्जू बचपन से ही पढऩे की इच्छा जाहिर करने पर अपनी सौतेली मां से पिटती रही है। उसने जीवन को पाठशाला में आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा है और इत्तेफाक से यही पाठ 'क्वीन' की नायिका भी पढ़ती है।

रज्जू इस नतीजे पर पहुंची है कि अन्याय आधारित असमानता से पीडि़त बीमार समाज में अधिकार छीनना पड़ता है और घुंघरू, पायल के बदले तलवार उठानी पड़ती है। वह हिंसा को न्यायसंगत नहीं मानती परंतु लाख प्रार्थना करने पर भी बात नहीं बनती तो हथियार उठाती है। वह अपने समान दमित स्त्रियों का दल संगठित करती है। उसका बचपन से चला आ रहा सपना कस्बे में स्कूल की स्थापना करना है।

Source: Women Centric Film on Women's Day - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 8th March 2014

Friday, March 7, 2014

If You Desire any thing from Heart then even Universe Helps You Out - Management Funda - N Raghuraman - 7th March 2014

दिल से कुछ चाहो तो पूरी कायनात मदद करती है


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


चार अप्रैल 2013, सुबह 6.30 बजे। महाराष्ट्र में मुंबई के ठाणे उपनगरीय इलाके में एक बिल्डिंग अचानक भरभराकर ढह गई। इसमें करीब 150 परिवार रहते थे। इलाके में इस तरह की यह सबसे बड़ी घटना थी। लगभग 74 लोग इसमें मारे गए। करीब 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। इनमें से ही एक पांच साल की बच्ची थी। नाम था संध्या ठाकुर। 

वह चमत्कारिक रूप से इस घटना से बच गई। पूरे 36 घंटे बाद उसे इमारत के मलबे से सही-सलामत बाहर निकाला गया। संध्या को चोटें लगीथीं, लेकिन बहुत मामूली। उसके माता-पिता और छह भाई-बहन थे। सभी को पहले लापता बताया गया। फिर बाद में सरकारी अफसरों ने उन सबको मरा हुआ घोषित कर दिया। संध्या को दिमागी तौर पर तगड़ा सदमा लगा था। तब से ही उसे उस इमारत हादसे के प्रतीक के तौर पर देखा जाने लगा। हादसे के तुरंत बाद उसको सियॉन हॉस्पिटल ले जाया गया था। 

Source: If You Desire any thing from Heart then even Universe Helps You Out - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 7th March 2014 

Multitude of Stars in Bhootnath Returns - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 7th March 2014

भूतनाथ की वापसी में सितारों की भीड़


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



बी .आर. फिल्म्स एवं भूषण कुमार की अमिताभ बच्चन अभिनीत 'भूतनाथ रिटर्नस' का शीघ्र प्रदर्शन होने जा रहा है। ज्ञातव्य है कि यह विगत फिल्म की अगली कड़ी है जिसमें कैलाशनाथ की आत्मा की मुक्ति हेतु एक यज्ञ उनके पोते ने किया था। इस भाग में वह मुक्त आत्मा लौटती है तथा गरीबों की दारुण दशा देखकर चुनाव लडऩे का निश्चय करती है। अत: एक तानाशाह, दुष्ट नेता के खिलाफ एक भूत चुनाव लड़ रहा है और अजूबों के लिए सदियों से आतुर आम जनता इस कौतुक को देखने के लिए आती है। भूत की आम सभाओं की भारी भीड़, जो कैमरे की ट्रिक नहीं है जैसा कि हम वर्तमान में देख रहे हैं, से स्थापित दुष्ट तानाशाह नेता घबरा जाता है और येनकेन प्रकारेण चुनाव जीतना चाहता है। उस नेता को चुनाव लडऩे का अनुभव है और वह गणतंत्र के इस खेल का खिलाड़ी है परंतु उसने कभी भूत के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा है। वह हताश है। 
 
Source: Multitude of Stars in Bhootnath Returns - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 7th March 2014 

Thursday, March 6, 2014

Life is God's Gift, Love It ! Management Funda - N Raghuraman - 6th March 2014

जिंदगी ईश्वर का तोहफा है, इसे प्यार करें


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन

 
54 साल की डियाने फ्रीथ ब्रिटेन की सबसे सफल इकोनॉमिक्स की टीचर थीं। उनके पति की मृत्यु कैंसर से हुई थी। फिटनेस के प्रति बेहद सजग रहने वाली फ्रीथ रोज 10 किमी वॉक करती थी। रिटायरमेंट के बाद उनकी योजना दुनिया घूमने की थी, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ उनके पावों में कुछ तकलीफ उभर आई। पहले उनको लगा कि वॉक के दौरान हल्की चोट लगी होगी। फिर ऑर्थराइटिस के प्रति अपनी चिंता के कारण वह चेक-अप के लिए गईं। उन्हें चेस्ट इंफेक्शन की शिकायत भी थीं। 
 
शुरू में एंटीबायोटिक्स से फायदा न होने पर डॉक्टर ने उनको एक्स-रे कराने की सलाह दी। जांच में ऑर्थराइटिस तो नहीं निकला, लेकिन उनके बाएं फेफड़े में एक गांठ मिली। रिपोर्ट आने के बाद वहां पर किसी ने कैंसर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, जबकि जांच से इसकी पुष्टि हो चुकी थी। उन्हें थर्ड स्टेज का फेफड़ों का कैंसर था। जब डॉक्टर ने उन्हें फोन से इस बारे में बताया और सर्जन से मिलने की सलाह दी तो वे एकदम टूट गईं। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। 
 
Source: Life is God's Gift, Love It ! Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 6th March 2014

Shivendrasingh Dungarpur's Effort of Restoring Classic Hindi Films - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 6th March 2014

शिवेन्द्रसिंह डूंगरपुर का प्रयास


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



आर के स्टूडियो में शिवेन्द्र सिंह डूंगरपुर से मुलाकात हुई जिनका बनाया एक वृत्तचित्र अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सराहा गया है। पुणे फिल्म संस्थान के आर्काइव की सुचारु रूप से दशकों तक देखभाल करने वाले अत्यंत समर्पित पीके नायर साहब के जीवन पर बने इस वृत्तचित्र में सिनेमा इतिहास की झलक भी देखने को मिलती है।

दरअसल इस संस्थान में पढ़े सारे छात्र नायर साहब के ऋणी रहे हैं। हर समय उनकी मांग पर उन्होंने फिल्म उपलब्ध कराई है। उनका महत्व इस बात से स्पष्ट होता है कि उनके सेवानिवृत्त होने के बाद फिल्म संग्रहालय एक कबाडख़ाना बन कर रह गया है। यह भी सुनने में आया है कि जब इस वृत्तचित्र के पुणे फिल्म संग्रहालय में शूटिंग की आज्ञा मांगी गई तब नायर साहब की अवहेलना की गई। जिस व्यक्ति ने उस स्थान को दशकों सहेजा संवारा, उसे ही उस स्थान पर आने की आज्ञा नहीं गोयाकि मंदिर बनाने वाले कारीगर को ही मूर्तिपूजा की आज्ञा नहीं। 
Source: Shivendrasingh Dungarpur's Effort of Restoring Classic Hindi Films - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 6th March 2014

Wednesday, March 5, 2014

Things Do Not Matter If You Take Your Work to Another Level - Management Funda - N Raghuraman - 5th March 2014

काम अगले लेवल पर ले जाएं तो दूसरी चीजें मायने नहीं रखतीं


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


वे रामचरित मानस से जुड़ा प्रसंग सुना रही थीं। तभी उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं। सुनने वालों ने भी ऐसा ही किया। कहानी जारी थी। जटायु कह रहे थे, 'मैंने तभी एक जोर की चीख सुनी। वह सीता थीं। मैं आकाश में ऊंचाई की ओर उड़ा तो दस सिर वाले रावण को देखा। सीता को उस हालत में देखकर मैं बहुत डर गया। मैं सोच नहीं पा रहा था कि सीता के बिछड़ जाने से श्रीराम के दिल पर क्या गुजर रही होगी। उन्हें जब इसका पता चलेगा तो कितने दुखी होंगे। कितने क्रोधित होंगे।' जटायु बता रहे थे, 'मुझे उस वक्त बहुत गुस्सा आया। 

Source: Things Do Not Matter If You Take Your Work to Another Level - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 5th March 2014

Arjun Kapoor and Alia Bhatt - A Love Story - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 5th March 2014

अर्जुन कपूर और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी



परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



आजकल फिल्म उद्योग में एक युवा प्रेम-कथा चर्चित हो रही है। कहा जा रहा है कि महेश भट्ट की सुपुत्री आलिया और बोनी कपूर के सुपुत्र अर्जुन के बीच मधुर संबंध बन रहे हैं। आलिया ने भी स्वीकार किया है कि उन्हें अर्जुन के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है परंतु वह मेरा प्रेमी या पति नहीं है और हम प्राय: लड़ते रहते हैं। इसे प्यार की नोकझोंक भी कहा जा सकता है। अर्जुन कपूर और आलिया भट्ट 'टू स्टेट्स' नामक फिल्म में अभिनय कर रहे हैं जो एक पंजाबी युवा और तमिल भाषा बोलने वाली लड़की के बीच की प्रेम-कथा है जिसके लिए आलिया ने तमिल सीखी है परंतु फिल्म में तमिल का प्रयोग चेन्नई एक्सप्रेस की भांति ही इस ढंग से किया गया है कि अखिल भारतीय दर्शक को उसके कारण आशय समझने में कोई कष्ट नहीं होगा।
 
Source: Arjun Kapoor and Alia Bhatt - A Love Story - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 5th March 2014  

Tuesday, March 4, 2014

Benchmark For Education and Technology Usage Has Upped - Management Funda - N Raghuraman - 4th March 2014

शिक्षा और टेक्नोलॉजी के उपयोग के बेंचमार्क बहुत ऊपर हो चुके हैं


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



भारत की आबादी में युवाओं की अच्छी-खासी तादाद है। इनमें ऐसे बहुत से युवा हैं जो मानते हैं कि सिर्फ ग्रेजुएशन कर लेने से ही उनकी जीवनशैली बेहतर बनी रह सकती है। इस तरह के युवाओं को यहां बताई जा रही दो रिपोर्ट पर खासतौर पर गौर करना चाहिए। ये रिपोट्र्स उन्हें सोचने पर मजबूर कर देंगी।

पहली रिपोर्ट: 

महाराष्ट्र में अपनी तरह का पहला प्रयोग हुआ है। इसके तहत 250 पोस्ट ग्रेजुएट, 2,800 ग्रेजुएट, 125 डिप्लोमा होल्डर और 341 शिक्षित महिलाओं ने ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला किया है। उन्होंने अलग-अलग इलाकों के 49 परिवहन कार्यालयों में ऑटो ड्राइवर परमिट के लिए अप्लाई किया है। इससे पहले ऑटो ड्राइवर के तौर पर परमिट के लिए अप्लाई करने वालों में ज्यादातर पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले लोग होते थे। यानी पांचवीं-आठवीं तक पढऩे वाले ही इसमें रुचि दिखाते थे, लेकिन इस साल ऐसे लोगों की संख्या में काफी गिरावट आई। 
Source: Benchmark For Education and Technology Usage Has Upped - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 4th March 2014

Gulaab Gang and Flowers of Ashok Vatika - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 4th March 2014

गुलाब गैंग और अशोक वाटिका के फूल


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे




'गुलाब गैंग' उत्तरप्रदेश की सत्य घटना और यथार्थ पात्रों से प्रेरित फिल्म है जिसमें व्यावसायिक तड़का लगाकर माधुरी दीक्षित नेने तथा जूही चावला मेहता के साथ बनाया गया है और दोनों महिलाएं इस फिल्म के प्रचार में जी जान से जुटी हैं। खबर यह भी है कि यथार्थ की महिला ने फिल्म में अपने प्रस्तुतीकरण पर आपत्ति उठाई है। यह प्रकरण याद दिलाता है कि शेखर कपूर ने फूलन देवी के जीवन पर आधारित 'बैंडिट क्वीन' नामक फिल्म बनाई थी जिसके यथार्थवादी प्रस्तुतीकरण ने हंगामा खड़ा कर दिया था और इसमें प्रस्तुत सामूहिक दुष्कर्म के दृश्यों पर बवाल मचा था। 
Source: Gulaab Gang and Flowers of Ashok Vatika - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 4th March 2014

Monday, March 3, 2014

If You Want To Know More About A Subject Then Write An Esaay - Management Funda - N Raghuraman - 3rd March 2014

किसी विषय को बेहतर तरीके से जानना चाहते हैं तो निबंध लिखिए


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन 



अगर आपसे कोई बांस पर निबंध लिखने को कहे और आप इस चुनौती को स्वीकार करने को तैयार हैं तो यह आर्टिकल न पढ़ें। इसके बजाय पहले अपने विचारों पर आधारित निबंध लिख डालें। फिर इसे पढ़ें। इसके बाद तुलना करें।

बांस विकास का वाहन हो सकता है, क्योंकि हरा-भरा रहना व दृढ़ता इसकी खासियत है। कहा जाता है कि बांस की एक नाल से ही इतनी ऑक्सीजन पैदा होती है, जितनी किसी कोजिंदगी भर काम आ सकती है। दुनियाभर में बांस की करीब 1,750 प्रजातियां बताई जाती हैं। आज भी विश्व की आबादी का पांचवां हिस्सा, बांस का इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन के काम में करता है। पूरी दुनिया में 2015 तक बांस का बाजार एक लाख करोड़ का हो जाएगा, ऐसा अनुमान है। भारत दुनिया में बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चीन का नंबर पहला है। 
 
Source: If You Want To Know More About A Subject Then Write An Esaay - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 3rd March 2014

Grand Wealth in the form of a Common Man - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 3rd March 2014

आम आदमी का भव्य पूंजी निवेशक रूप



परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



गोरखपुर में स्थित गीता प्रेस ने धर्म की अनेक पुस्तकें कम दामों में जनता को उपलब्ध कराई हैं और दशकों से इनकी संस्था 'कल्याण' नामक पत्रिका निकालती रही है और इनके महाभारत खंड एक और दो अनेक घरों में शोभायमान है। इस तरह धार्मिक आख्यानों के अनुवाद आम आदमी तक पहुंचे। इसी गोरखपुर से सुब्रत राय ने अपना कॅरिअर शुरू किया, वे लेम्ब्रेटा नामक दुपहिया पर घर-घर जाकर नमकीन बेचते थे और वह दुपहिया वाहन कांच के कैबिन में उनके लखनऊ स्थित महल में आज भी मौजूद है, यह बात अलग है कि वर्षों से सुब्रत राय आयात की गई लक्जरी लिमोजीन में घूमते रहे है और फिल्म उद्योग में भी उन्होंने पूंजी निवेश करके फिल्में बनाई है तथा सहारा टेलीविजन के लिए फिल्म प्रसारण के अधिकार खरीदे है और उनकी बोनी कपूर द्वारा बनाई 'नो एंट्री' सबसे अधिक बार सहारा टेलीविजन पर दिखाई गई है। 
 
Source: Grand Wealth in the form of a Common Man - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 3rd March 2014

Sunday, March 2, 2014

Woo Upper Class First And Later Middle Class - Management Funda - N Raghuraman - 2nd March 2014

पहले अपर क्लास को लुभाएं फिर मध्यम वर्ग को



मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



देश की कई मशहूर व महंगी रेस्त्रां चेन्स आमदनी बढ़ाने के लिए अपने रेस्त्रां की किफायती ब्रांच खोल रही हैं। जहां मीडियम क्लास के लोग भी जायकों का लुत्फ ले सकें। ऐसी ही एक प्रीमियन फूड चेन है 'ओह कलकत्ता'। जिसने हाल ही में मीडियम क्लास को ध्यान में रखते हुए 'कलकत्ता एक्सप्रेस' नाम के आउटलेट्स खोले हैं। 
 
दिल्ली की प्रीमियम फूड चेन 'पंजाबी बाय नेचर' ने 'पंजाबी बाय नेचर क्विकी' आउटलेट्स लॉन्च किए हैं। मशहूर फूड एक्सपर्ट जिग्स कालरा ने भी 'कायलिन प्रीमियर' का स्माॉल वर्जन 'कायलिन एक्सप्रेस' लॉन्च किया है। ऐसे ही एक और फूड चेन 'येती' ने 'येती एक्सप्रेस' लॉन्च की है। 
 
Source: Woo Upper Class First And Later Middle Class - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar  2nd March 2014 

Saturday, March 1, 2014

You Can Start A Business With Cycle Too - Management Funda - N Raghuraman - 1st March 2014

आप साइकिल से भी बिजनेस शुरू कर सकते हैं 


मैनेजमेंट फंडा - एन रघुरामन



निरंथ बीमाना आईआईएम लखनऊ से हैं। उन्होंने बेंगलुरू के आर्मी पब्लिक स्कूल से भी पढ़ाई की है। यहां राजीव सिंह उनके साथी थे। स्कूल में पढ़ाई के दौरान करीब 14 साल तक ये दोनों साइकिल से ही आया-जाया करते थे। निरंथ का आगे चलकर शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए आर्मी में चयन हो गया। आर्मी में उनका कार्यकाल पूरा हुआ तो वे घर लौट आए। 

राजीव भी कुछ समय इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर काम करने के बाद घर आ गए। अब ये दोनों फिर साइकिल पर थे। लेकिन अबकी बार ये शहर को काफी नजदीक से देख-परख रहे थे। और इस कवायद ने उन्हें एक बड़ा बिजनेस आइडिया दे दिया। 

Source: You Can Start A Business With Cycle Too - Management Funda By  N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st March 2014  

From Shobhna Samarth To Kajol - Parde Ke Peeche - Jaiprakash Chouksey - 1st March 2014

शोभना समर्थ से काजोल तक


परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे



कुछ समय पहले तनूजा ने नितीश भारद्वाज की लीक से हटकर बनी मराठी फिल्म 'पितृन' के लिए अपना सिर घुटवाया था। फिल्म की प्रशंसा हुई परंतु उसने धन नहीं कमाया। तनूजा को आज के दर्शक काजोल की मां के रूप में जानते है और कभी तनूजा शोभना समर्थ की बेटी के रूप में जानी जाती थी तथा लंबे समय तक नूतन की छोटी बहन के नाम से भी पुकारी गई। तनूजा पांचवे-छठे दशक के बंद समाज में अपने खुलेपन के लिए बहुत आलोचना को झेलती रही क्योंकि उसकी समकालीन महिला सितारा सरेआम शराब का सेवन नहीं करती थी और सिगरेट पीना भी सबके सामने स्त्रियों ही नहीं पुरुषों को भी शोभा नहीं देता था। 
 
बिंदास शब्द का प्रयोग पहली बार मीडिया ने तनूजा के लिए किया था। उसने विजय आनंद की 'ज्वेलथीफ' में एक कैबरेनुमा गीत किया था परंतु वह अनेक फिल्मों में नायिका की भूमिका में आई और खूब सराही गई थी। रणधीर कपूर के साथ 'हमराही' नामक उनकी हास्य फिल्म सफल रही थी। तनूजा ने उस दौर में भी लीक से हटकर फिल्मों में लगभग नि:शुल्क काम किया, मसलन बासू भट्टाचार्य की 'अनुभव' में। 
 
Source: From Shobhna Samarth To Kajol - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 1st March 2014