एक आइडिया ने हाउसवाइव्स को बनाया बिजनेस पार्टनर
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
अभी एक दिन पहले ही 30 जनवरी को चेन्नई में एक नया रेस्टोरेंट खुला है। इसका नाम है-पॉप अप। करीब 60 लोग उद्घाटन के दिन यहां जुटे हुए थे। रेस्टोरेंट में पेश व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए। और कमाल की बात ये है कि इस रेस्टोरेंट में कोई भी डिश किसी पेशेवर रसोइए ने नहीं बनाई थी। न ही होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर चुके किसी स्टूडेंट ने। 'होम शेफ गिल्ड' नाम की एक संस्था की सदस्यों ने ये डिशेस तैयार की थीं। इस संस्था की सभी सदस्य हाउसवाइव्स हैं। वे महिलाएं जिन्हें उनके घर या मोहल्ले के बाहर शायद ही कोई जानता हो। 'होम शेफ गिल्ड' बनाने का आइडिया पहली बार केपी बालाकुमार के दिमाग में आया। केपी फूड ब्लॉगर हैं। मूल आइडिया ये था कि घरेलू महिलाओं को एक कॉमन प्लेटफॉर्म मिले। जहां वे अपनी-अपनी पसंदीदा डिशेस की रेसिपी एक-दूसरे के साथ शेयर कर सकें। धीरे-धीरे यह प्लेटफॉर्म एक यूनिट की तरह काम करने लगा। यहां से बेकरी के उत्पाद तैयार किए जाने लगे। बिकने भी लगे। सभी महिला सदस्य एक-दूसरे के लिए छोटी-मोटी इवेंट का आयोजन करने लगीं। यह सिलसिला दो साल चला।
Source: An Idea Which Made Housewives A Business Partner - Motivation Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st February 2014
फिर अब पॉप अप फूड आउटलेट का प्रयोग सामने आया। गिल्ड की सदस्य इन महिलाओं को उनके घरों की बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं ने कई डिशेस बनाना सिखाईं। जैसा कि देश के हर घर में होता है। और महिलाओं की तरह ये भी इन डिशेस की रेसिपी अपने घर तक ही रखे रहतीं अगर उन्हें ये प्लेटफॉर्म न मिलता। ज्यादा नहीं तो एक-दो मिसाल ही ले लेते हैं। हाउसवाइफ पी. आरती ने पहली बार आंध्रप्रदेश की एक नॉनवेज डिश अपने पति को बनाकर खिलाई। वह उन्हें बेहद पसंद आई। इसके बाद से जब भी उनके घर कोई पार्टी होती यह डिश जरूर बनती। और मेहमानों को परोसी जाती।
इसी तरह एक और हाउसवाइफ हैं-नाज। उन्हें उनके परिवार में शाही पनीर का विशेषज्ञ माना जाता है। इन दिनों ये दोनों ही (पी. आरती और नाज) गिल्ड की सदस्य हैं। और जाहिर तौर पर उनकी ख्याति उनके घर की चहारदीवारी से बाहर आ चुकी है। ऐसी ही कहानियां गिल्ड की बाकी सदस्यों की हैं। सबकी सब खुश हैं। और उनका खुद पर भरोसा भी बढ़ा है। ऐसे ही संदेश रेड्डी का सिग्नेचर रेस्टोरेंट अपने रेगुलर विजिटर्स, खासकर हाउसवाइव्स को एक मौका दे रहा है। वे जहां कहीं से भी किसी नई डिश के बारे में जानकारी जुटा सकते हों, जुटाएं।
फिर उनकी रेसिपी को घर पर ट्राइ करें। अपने घर के लोगों, रिश्तेदारों को टेस्ट कराएं। अगर वह डिश घर पर पॉपुलर हो जाए तो उसे रेस्टोरेंट में आकर ट्राई करें। इस तरह देश के अलग-अलग इलाकों की डिशेस इस रेस्टोरेंट में आजमाई जा रही हैं। और खाने के शौकीनों को किस्म-किस्म की चीजों का स्वाद मिल रहा है। संदेश मानते हैं कि हाउसवाइव्स में गजब का टेलेंट होता है। खासकर खाना बनाने-खिलाने के मामले में। वे घर के लोगों/ बच्चों को हमेशा कुछ नया बनाकर खिलाना पसंद करती हैं। इसीलिए संदेश उन्हें हाउसशेफ कहते हैं, न कि हाउसवाइव्स। होम शेफ गिल्ड अब अगली योजना पर काम कर रहा है। शहर के बाकी रेस्टोरेंट के साथ टाइअप करने की कोशिश की जा रही है। ताकि गिल्ड की सदस्य कम से कम सप्ताह में एक बार वहां भी जाकर अपनी खास डिशेस बनाकर पेश कर सकें। हो सकता है कि अब भी कई लोगों को यह आइडिया प्रैक्टिकल न लगे। लेकिन आपको बता दें कि अमेरिका में ऐसे कई रेस्टोरेंट हैं, जहां खाना बनाने वाले कोई रेगुलर कर्मचारी नहीं हैं। वे महज हाउसवाइव्स या कहिए हाउसशेफ की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर ही चल रहे हैं। वहां टे्रंड शेफ कभी-कभार ही आते हैं।
फंडा यह है कि...
हाउसवाइव्स बिजनेस पार्टनर भी हो सकती हैं। बशर्ते, आप तयशुदा दायरे से बाहर जाकर कुछ सोच पाएं। बिजनेस में इस तरह आप बिना कुछ खर्च किए इन हाउसवाइव्स के तौर पर अच्छे एंप्लॉई और शुभचिंतक भी पा सकते हैं।
Source: An Idea Which Made Housewives A Business Partner - Motivation Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st February 2014
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