Saturday, February 15, 2014

Whatever You Do, You Have to Be Best - Motivation Management Funda - N Raghuraman - 15th February 2014

आप जो भी करें, उसमें सर्वश्रेष्ठ होना ही होगा


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



उस समय उनकी उम्र 10 साल थी। कक्षा चौथी में थे। रिपोर्ट कार्ड मिला तो पांच विषयों में 'ए' मिला था और एक में 'बी'। मां ने रिपोर्ट कार्ड देखने के बाद कहा, 'हमारे परिवार में कोई भी 'बी' हासिल नहीं कर सकता। अगली बार रिपोर्ट कार्ड में मुझे यह नहीं दिखना चाहिए। आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।'

उसके बाद उन्हें कभी किसी विषय में 'बी' नहीं मिला। उन्हें यह भी अहसास हुआ कि जब प्रयास श्रेष्ठ होते हैं तो सफलता निश्चित होती है। उनके माता-पिता ने उन्हें बताया कि जिंदगी में कभी कोई शॉर्टकट नहीं होता। परफेक्शन के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है। 

Source: Whatever You Do, You Have to Be Best - Motivation Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 15th February 2014

उनका बचपन अमेरिका के इंडियाना प्रांत के जेफरसनविले में ओहियो नदी के पास लाल ईटों वाले घर में बीता। भाई चक और बहन एनेट के साथ बड़े हुए। माता-पिता चाहते थे कि वे कड़ी मेहनत करें। छोटे से छोटा काम सीखें। उन्होंने उन्हें काफी जल्दी काम शुरू करने को मजबूर भी किया।
15 वर्ष की उम्र में जॉन श्नैटर ने पार्ट-टाइम डिशवॉशर के तौर पर काम शुरू कर दिया था। एक दिन पिज्जा बनाने वाला छुट्टी पर था। उन्हें पिज्जा बनाने का मौका मिला। उन्हें पिज्जा बनाना अच्छा लगा। उन्होंने अपना काम बखूबी किया। इससे खुश होकर उन्हें प्रमोशन मिला। डिशवॉशर से पिज्जामेकर बना दिया गया। उसके बाद तो वे हर समय पिज्जा बनाने को लेकर नए-नए प्रयोग करने लगे। इस दौरान उन्हें समझ आ गया था कि ग्राहकों को लॉयल बनाना है तो गूंथे आटे, सॉसेस, टॉपिंग्स और तापमान को सही रखना होगा। उन्हें यह भी महसूस हुआ कि यदि यह सही नहीं रहा तो ग्राहक आधा पिज्जा छोड़ देगा। 

इंडियाना के मुंसी में बास स्टेट यूनिवर्सिटी में बिजनेस पढ़ते हुए भी उन्होंने ग्रीक पिज्जा रेस्त्रां में काम किया। पिज्जा बनाने की बारीकियों पर महारत हासिल की। स्नातक होने से पहले ही वह अपनी पिज्जा कंपनी का नाम और लोगो तय कर चुके थे- पापा जॉन्स। 1982 में कॉलेज से निकलते ही 21 वर्षीय जॉन ने पिज्जा डिलीवरी बिजनेस शुरू कर दिया। इंडियाना में ही पिता रॉबर्ट का बार कर्ज में डूबा था। बंद होने के कगार पर था। जॉन ने कर्ज चुकाने और अपने बिजनेस में लगाने के लिए बैंक से 40 हजार डॉलर का कर्ज लिया। दुर्भाग्य से इसी दौरान जॉन के पिता को एन्यरिज्म हुआ और उनकी मौत हो गई। जॉन का बिजनेस शुरू ही हुआ था। साथ देने के लिए कोई था नहीं। इसलिए अंतिम संस्कार के दूसरे दिन ही बिजनेस संभालने लौटना पड़ा। 

उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा अच्छा रहा। जॉन्स पिज्जा पूरे शहर में चर्चा का विषय बन चुका था। 1989 में उन्होंने दूसरा पिज्जा पार्लर केंटुकी के लुइसविले में खोला। उसे शहर के सबसे अच्छे पिज्जा के तौर पर पहचान मिली। उसके बाद से जॉन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जॉन ने अपने पिज्जा पर मेहनत की। ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए नई रैसिपी विकसित की। 

जॉन का मंत्र है अच्छी क्वालिटी और ईमानदारी। वे शुरू से जानते थे कि यदि उन्होंने ग्राहकों, प्रोडक्ट, साफ-सफाई सहित सभी लोगों का ध्यान रखा तो बिजनेस को सफलतापूर्वक खड़ा किया जा सकता है। उनके किचन से डिलीवरी बॉय तक सभी इस मंत्र पर यकीन करते हैं। आज यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फ्रेंचाइजी बिजनेस है। हर दिन दुनियाभर से १०० पिज्जा चुने जाते हैं। क्वालिटी कंट्रोल किचन में दस बिंदुओं पर उन्हें परखा जाता है। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि 28 साल बाद आज इस कंपनी के दुनियाभर में 4,000 आउटलेट्स हैं।


फंडा यह है कि...

यदि आप अपने काम में श्रेष्ठ हैं तो आपका बिजनेस कभी फेल नहीं हो सकता। 

 

Papa John's Pizza Success Story - Motivation Management Funda - N Raghuraman

 

Source: Whatever You Do, You Have to Be Best - Motivation Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 15th February 2014 

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