हमारे बनाए किले से मजबूत उसकी नींव होती है
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
रविवार को देश के दो प्रमुख चैनलों पर आमिर खान का सीरियल 'सत्यमेव जयते' प्रसारित होता है। जिस वक्त यह सीरियल चल रहा होता है आमिर देश भर से मिली प्रतिक्रियाओं का आकलन करने में लगे रहते हैं। उनकी पत्नी किरण भी व्यस्त रहती हैं, लेकिन वे क्या करती हैं। पिछले हफ्ते की ही बात है। इस सीरियल में कचरा प्रबंधन का मुद्दा उठाया जा रहा था।
कचरे को कैसे निपटाया जाए इस पर चर्चा चल रही थी, लेकिन किरण कश्यप ग्रुप से ऑर्गेनिक फूड की खरीदारी करने में लगी थीं। कश्यप ग्रुप 350 किसानों का समूह है। ये सभी वे लोग हैं जो सिर्फ जैविक कृषि उत्पादों को उगाने और उन्हें इस्तेमाल करने पर यकीन रखते हैं। किरण भी इनसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने परिवार के लिए कैमिकल-फ्री फूड खरीद रही थीं।
कश्यप ग्रुप के संजय पवार व साडू भाऊ शेलके ऑनलाइन संडे बाजार लगाते हैं। यहां वे ऑर्गेनिक उत्पादों से जुड़े ऑर्डर लेते हैं। एक और शख्सियत हैं, जयवंत पाटिल। सिर्फ 27 साल के हैं। पुणे की एक अग्रणी टेक्नोलॉजी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन सप्ताह में सिर्फ चार दिन। बाकी तीन दिन वे अपने ऑर्गेनिक फार्म हाउस पर काम करते हैं। पुणे से करीब 85 किलोमीटर दूर उनका 2.5 एकड़ का फार्महाउस है। जयवंत के साथ 12 किसानों का समूह है। ये सभी लोग ऑर्गेनिक खेती तो करते ही हैं, कीटनाशक और खाद भी इसी तरह से बनाते हैं, गोबर, गौमूत्र और पत्तियों के इस्तेमाल से।
Source: A Foundation is Much Stronger Than A Fortress Built By Us - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st March 2014
सचिन तहमाने 25 साल के हैं। बिजनेस मैनेजमेंट से ग्रेजुएट हैं, लेकिन ऑर्गेनिक खेती के लिए जुनूनी हैं। इसके लिए वे कई बड़ी कंपनियों से मिले नौकरी के कई ऑफर ठुकरा चुके हैं। आशीष शिंदे अमरावती के हैं। वे भी महानगरों में ऑर्गेनिक फूड के अग्रणी सप्लायरों में गिने जाते हैं। यस बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ऑर्गेनिक खेती का कारोबार 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। युवाओं में इस तरफ खासा रुझान है।
इसके दो कारण हैं। पहला- वे जहरीली खाद्य पदार्थ (रासायनिक खाद के जरिए उगाए गए) अब और इस्तेमाल नहीं करना चाहते। दूसरा- वे इस किस्म की खाने-पीने की चीजें बाजार में बेचना भी नहीं चाहते। ऑर्गेनिक फूड के प्रति किस हद तक जागरुकता आ रही है, उसका उदाहरण है- महाराष्ट्र का नासिक। इस जिले के दो तालुका ऐसे हैं, जहां 2006 में 230 खेतों में ऑर्गेनिक खेती होती थी, जबकि 2013 तक ऐसे खेतों की संख्या 1,000 हो चुकी थी। यानी लगभग चार गुना से ज्यादा की बढ़त।
सिर्फ यह बढ़त काबिले गौर नहीं है। देखने लायक बात ये भी है कि ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान कोई आम नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर पोस्ट ग्रेजुएट हैं। कई तो आईआईटी से पढ़े हुए स्पेशलिस्ट हैं, लेकिन ये लोग खुद सीधे खेतों में उतर गए। और आज अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इसकी एक और खास बात है। वह ये कि देशभर में ज्यादातर ऑर्गेनिक खेती सरकारी मदद के बिना हो रही है। और इस तरह के उत्पादों के खरीदार समाज के समृद्ध वर्गों के लोग हैं।
आमिर खान और किरण राव की तरह के। ऑर्गेनिक खेती के मामले में भारत का दुनिया में 10वां स्थान है। बावजूद इसके कि यहां सिर्फ पांच लाख हेक्टेयर जमीन पर ही ऑर्गेनिक खेती होती है। और कुल उत्पादन भी महज 10.34 लाख टन के आसपास ही है। वैसे देश में करीब 50.21 लाख हेक्टेयर जमीन पर ऑर्गेनिक खेती के लिए सर्टिफिकेशन जारी हो चुका है। लेकिन इसमें से 45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अब तक यह काम नहीं हो रहा है। यानी हमारे लिए अपनी जड़ों की तरफ लौटने की पर्याप्त गुंजाइश है।
फंडा यह है कि...
अपनी नींव की तरफ, जड़ों की तरफ लौटिए। हम आधुनिक दौर में अपने लिए जो महल खड़े करते हैं, उनसे ज्यादा मजबूत उसकी नींव होती है। यह हमें अतीत और भविष्य से जोड़ती भी है।
Source: A Foundation is Much Stronger Than A Fortress Built By Us - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st March 2014
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