महिलाएं दृढ़ हों तो पुरुषों से ज्यादा ताकतवर साबित हो सकती हैं
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
वह अपने घर में अकेली संतान थी। इसलिए उसे खूब लाड़-दुलार मिला। पढ़ाई-लिखाई भी अच्छी हुई। उसके परिवार के पास एक हिल स्टेशन पर बड़ी जमीन थी। उसमें कॉफी की खेती होती थी। इससे उसका परिवार समृद्ध लोगों की जमात में शामिल था। जब वह 17 साल की हुई तो उसके माता-पिता को चिंता हो गई। उन्हें अहसास हुआ कि उनकी बेटी तो अब शादी लायक हो गई है। उन्होंने उसके लिए योग्य लड़का ढूंढना शुरू किया। किस्मत से उन्हें ऐसा लड़का मिल भी गया। जाहिर है इसके बाद उन्होंने देर नहीं की। जैसे ही उसने 18 साल की उम्र पूरी की, उसके माता-पिता ने उसकी शादी कर दी।
Source: Women Can Be Stronger Than Men If They Are Determined - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th March 2014
उसकी पूरी दुनिया उसके पापा के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। इसलिए वह भी शादी के लिए तैयार हो गई। हालांकि वह कम उम्र में शादी को ठीक नहीं मानती थी। कुछ दिन तो उसकी शादीशुदा जिंदगी ठीक चली। लेकिन बाद में परेशानियां शुरू हो गई। उसके ससुराल वालों ने उसे तानों-उलाहनों से परेशान करना शुरू किया। फिर कुछ दिन बाद मारपीट भी करने लगे। लेकिन उसने अपने माता-पिता को भी उसने इस बारे में कुछ नहीं बताया। क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि यह सब जानकर उन्हें तकलीफ पहुंचे।
इसी बीच उसके ससुराल वालों ने उससे उसके बेटे को भी दूर कर दिया। अब वह संघर्ष में पूरी तरह अकेली रह गई थी। शादी के पूरे 13 साल तक यह सिलसिला चलता रहा। एक शाम जब उससे रहा नहीं गया तो वह पिता के घर चली आई। पूरे शरीर पर मारपीट से आए चोटों के निशान चीख-चीखकर उस पर हुए जुल्म की कहानी कह रहे थे। पिता ने जब बेटी की यह हालत देखी तो वे धक रह गए।
उन्होंने उसे दिलासा दी। अगले दिन वे एक दोस्त के पास गए। बेटी के साथ जो हुआ, वह सब कह सुनाया। फिर सलाह मांगी कि अब आगे क्या किया जाए। लेकिन वे घर लौट नहीं सके। दोस्त से मशविरे के बाद जब वे घर वापस आ रहे थे, रास्ते में ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया। उस वक्त कार में उनके साथ सिर्फ ड्राइवर ही था। उसने अपनी तरफ से कोशिश की लेकिन अपने मालिक को बचा नहीं सका।
ड्राइवर मालिक की बेजान देह लेकर घर पहुंचा। ससुराल में बेइंतहा तकलीफ झेल चुकी बेटी के लिए यह बड़ा झटका था। इन घटनाओं को गुजरे 12 साल हो चुके हैं। तमाम तकलीफों-मुश्किलों को मात देकर छाया ननजप्पा अब एक विजेता की तरह देश में पहचान बना चुकी हैं। वे देश की पहली महिला हैं, जो शहद तैयार करने का आधुनिक कारखाना चलाती हैं और नेक्टर फ्रैश नामक कंपनी की मैनेजिंग पार्टनर हैं। नेक्टर फ्रैश वह ब्रांड नेम है जिसने शहद, नैचुरल जैम्स और सॉस की दुनिया में बड़े मापदंड स्थापित किए हैं।
छाया पिता की मौत के बाद कर्नाटक के कुर्ग में आ गईं और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली। चूंकि वे उद्यमी ही बनना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने पहले-पहल एक छोटी औद्योगिक इकाई लगाई। उनकी यह औद्योगिक इकाई लोकल मार्केट में उच्च गुणवत्ता की शहद सप्लाई करती थी। हालात धीरे-धीरे बदलते गए। फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने नेक्टर फ्रैश जैसे ब्रांड की नींव रख दी।
कंपनी नौ मार्च 2014 से अपनी उत्पादन क्षमता और बढ़ा रही है। इसके बाद यूरोपियन यूनियन के देशों को भी यह उनकी जरूरत के हिसाब से शहद सप्लाई करने लगेगी। आज ताज और आईटीसी जैसे बड़े होटल समूह सिर्फ नेक्टर फ्रैश की शहद को ही तरजीह देते हैं। छाया यूरोप के बाजार में पैर जमाने के बाद एक रेस्टोरेंट खोलना चाहती हैं, जहां कुर्ग इलाके के खास व्यंजन मिलते हों। इस रेस्टोरेंट में एक जगह ऐसी भी होगी, जहां ग्रामीण कलाकारों की बनाई गई चीजें मिलेंगी। खासकर महिलाओं के हाथ की बनी। छाया की एक इच्छा और है। वे बेटे को फिर हासिल करना चाहती हैं।
फंडा यह है कि...
महिलाओं को अगर चुनौती दी जाए तो वे पुरुषों से भी बेहतर साबित होती हैं। वे अपनी दृढ़ता से इस पुरुष प्रधान समाज में कुछ भी हासिल कर सकती हैं।
Source: Women Can Be Stronger Than Men If They Are Determined - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th March 2014
No comments:
Post a Comment