अभी या कभी नहीं वाले हालात में होता है सबसे बढिय़ा प्रदर्शन
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
दिल्ली का त्यागराज इंडोर स्टेडियम। वहां आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक कार्यक्रम रखा गया था। इसके कुछ देर बाद ही वहां महिलाओं की दो टीमों के बीच बास्केटबॉल का मैच आयोजित था। नेशनल वूमन बास्केटबॉल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम करने के लिए ये टीमें आपस में भिड़ रही थीं। इंडियन रेलवे और छत्तीसगढ़ की महिला टीमों के बीच मुकाबला था।
जब से यह प्रतियोगिता शुरू हुई, रेलवे की महिला टीम 29 बार खिताब जीत चुकी थी। ताजा मैच में वह 38-45 से आगे थी। लेकिन छत्तीसगढ़ की टीम भी कमजोर नहीं थी। छत्तीसगढ़ की टीम में 21 साल की कविता कुमारी भी शामिल थीं। वे दुर्ग में रेलवे क्लर्क हैं। इसके बावजूद रेलवे ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करने लायक नहीं समझा।
एक अन्य सदस्य पूनम चतुर्वेदी सिर्फ 18 साल कीं। उन्हें ब्रेन ट्यूमर है और इसकी जानकारी उन्हें छह महीने पहले ही मिली। वे पिछले कुछ समय से लगातार खेल में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही थीं। हालांकि उन्होंने अपनी खेल में नाटकीय तौर पर सुधार किया और अब वे छत्तीसगढ़ की टीम का हिस्सा हैं। साथ ही नेशनल जूनियर टीम की सदस्य भी।
Source: Best Performance is Achieved in Now or Never Situations - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 19th March 2014
आठ मार्च का वह मैच आधा हो चुका था। तभी पूनम के सिर में तेज दर्द हुआ। हाफ टाइम के बाद उन्हें रिजर्व बेंच पर बैठना पड़ा। टीम के लिए पूनम बेहद अहम थीं। उनकी गैरमौजूदगी से छत्तीसगढ़ की टीम पर काफी दबाव आ गया। टीम की कप्तान सीमा सिंह भी दबाव में नजर आ रही थीं। इसका नतीजा ये हुआ कि सीमा सिंह ने खेल के दौरान गलती कर दी। अंपायर ने उन्हें मैदान से बाहर कर दिया। अब वे भी रिजर्व बैंच पर बैठी हुई थीं। पूनम के पास अब कोई चारा नहीं था। तकलीफ के बावजूद उन्हें खेल में दोबारा उतरना पड़ा। टीम के के लिए करो या मरो जैसे हालात थे। अभी या कभी नहीं जैसे भी।
छत्तीसगढ़ की टीम में न जाने कैसे अचानक जबरदस्त जोश का संचार हुआ। रेलवे की टीम पर उसने जोरदार हमले शुरू कर दिए। उसके डिफेंस को छिन्न-भिन्न कर दिया। हर हमले के बाद वे प्वाइंट बनाकर लौट रही थीं। स्कोर बोर्ड की स्थिति भी तेजी से बदल रही थी। लेकिन इस तरफ उनकी नजर नहीं थी। वे रेलवे की टीम को सबक सिखाने के मूड में थी। तभी मैच खत्म होने का संकेत देने वाली सीटी बज गई।
अब स्कोर बोर्ड की तरफ हर नजर उठ चुकी थी। छत्तीसगढ़ ने 81-77 से रेलवे की टीम को हरा दिया था। छिपा रुस्तम अब चैंपियन था। पिछले 12 साल में रेलवे की महिला टीम को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। मैच में पूनम के पिता और कोच लगातार उनका उत्साह बढ़ाते रहे। उन्हें हौसला देते रहे कि वह सबसे बढिय़ा खेल रही हैं।
इसका नतीजा ये हुआ कि उन्होंने तेज सिर दर्द को लगभग भूलते हुए मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सिर्फ पूनम ही नहीं छत्तीसगढ़ की टीम के किसी भी सदस्य की जिंदगी सहज नहीं कही जा सकती। कप्तान सीमा सिंह (31) टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ी। वह 2002 में जूनियर नेशनल टीम में छत्तीसगढ़ा प्रतिनिधित्व करती थीं। फिर रेलवे ज्वाइन की।
रेलवे की टीम से सीमा कई खिताबी जीत की भागीदार बनीं। पर 2010 में उनके घुटने में चोट लग गई। रेलवे ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया। एक अन्य सदस्य हैं, दीपा। सड़क पर फेरी लगाने वाले की बेटी हैं। हाइट कम है इसलिए रेलवे ने उन्हें टीम में शामिल करने लायक ही नहीं समझा। छत्तीसगढ़ की टीम में आईं और खुद को साबित कर दिखाया। पुलिस कांस्टेबल की बेटी हैं, भारती नेताम। रेलवे की टीम से 10 साल तक खेलती रहीं। फिर अचानक टीम से बाहर कर दिया गया। हर टीम मेंबर की तरह उन्हें भी खुद साबित करना था। और वे भी सफल रहीं।
फंडा यह है कि...
आपको अगर अभी या कभी नहीं वाले हालात में डाल दिया जाए तो हताश मत होइए। हौसला रखिए क्योंकि इन्हीं हालात में आपका सबसे बढिय़ा प्रदर्शन भी सामने आ सकता है।
Source: Best Performance is Achieved in Now or Never Situations - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 19th March 2014
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