Wednesday, June 11, 2014

Best People Make Best Nation - Management Funda - N Raghuraman - 11th June 2014

श्रेष्ठ राष्ट्र सिर्फ बेहतर लोगों से ही बन सकता है


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



पहली कहानी: 


हाल में ही कवयित्री माया एंजेलो का निधन हुआ। तो इंटरनेट पर उनके कहे शब्दों की जैसे बाढ़ सी आ गई। ऐसा ही उनका एक कथन है, 'लोग आपकी कही बातें भूल जाएंगे। वे आपके किए कामों को भी भूल जाएंगे। लेकिन आपने उन्हें जो अहसास कराया, उसे वे कभी नहीं भूलेंगे।

' एंजेलो ने यह बात अपने अनुभव से, अपनी सीख के आधार पर कही थी। वह सीख जो उन्हें 17 साल की उम्र में ही मिल गई थी। उस वक्त वह मां बन चुकी थीं। बच्चे का अकेले पालन-पोषण कर रही थीं। अपने और उस बच्चे का पेट पालने के लिए एक होटल में वेटरेस की नौकरी करती थीं। 

Source: Best People Make Best Nation - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 11th June 2014


वेटर या वेटरेस का काम भारत में आज भी नीचे दर्जे का माना जाता है। लेकिन आपको बता दें कि केरल के कोच्चि में ऐसे युवाओं की तादाद बढ़़ रही है जो पार्ट टाइम वेटर या वेटरेस के तौर पर काम करते हैं। बतौर डिलीवरी ब्वॉय और कैफे या किसी फूड ज्वाइन्ट के किचन में सहायक के तौर पर काम करने में भी उन्हें झिझक नहीं। 

और इसके पीछे मकसद? पढ़ाई के लिए होने वाले खर्च का इंतजाम करना। ये युवा ज्यादातर केरल के दूर-दराज के इलाकों के हैं और कोच्चि में पढ़ाई के लिए आए हैं। यहां उन्हें कॉलेज की फीस के साथ, हॉस्टल का किराया और पढ़ाई का अन्य खर्च उठाना पड़ता है।

दूसरी कहानी: 


क्या पहली से तीसरी कक्षा तक के 140 बच्चों को किताब-कॉपियां बांटना कोई बड़ी खबर हो सकती है? नहीं। क्योंकि इतनी किताब-कॉपियों की कीमत 5,000 भी नहीं होगी। लेकिन समाजसेवी खीमजीभाई प्रजापति को इसकी फिक्र नहीं। वे बीते सोमवार को भी महेसाणा (गुजरात) के सरकारी स्कूल नंबर-8 के गेट पर पहुंचे। और वही किया जो करना चाहते थे। बच्चों को किताब-कॉपी बांटीं। हालांकि 66 वर्षीय खीमजीभाई के बदन पर फटे-चिथे, अनधुले कपड़े थे। लेकिन विचार उतने ही उजले। वे मानते हैं कि देश को तरक्की करनी है तो बच्चों को शिक्षित होना चाहिए।

खीमजीभाई खुद आठवीं तक ही पढ़े हैं। एक साल पहले भी उन्होंने 11 गरीब बच्चियों को स्कूल यूनीफॉर्म बांटी थीं। ये लड़कियां वे थीं, जो सुन नहीं सकती थीं। बधिर बच्चों के लिए संचालित श्रीमती केसरबाई किलाचंद स्कूल में पढ़ती थीं।...अब आप में खीमजीभाई का पेशा जानने की दिलचस्पी हो सकती है। तो बता दें कि वे महेसाणा के सीमांधर स्वामी जैन मंदिर के बाहर भीख मांगते हैं। कभी-कभी स्थानीय हनुमान मंदिर के बाहर भी। खुद के दो वक्त के भोजन के बाद बचे पैसों में से 4,000 रुपए हर महीने बीमार पत्नी के इलाज के लिए घर भेजते हैं। बाकी बचे पैसों को समाज के लिए दान कर देते हैं।

तीसरी कहानी: 


बेंगलुरू के कुछ युवा टेक्नोक्रेट और पेशेवर पिछले एक हफ्ते से सरकारी स्कूलों में जा रहे हैं। वे वहां स्टूडेंट्स को बता रहे हैं कि उन्हें भविष्य में वह कॅरिअर चुनना चाहिए जो उनकी रुचि से जुड़ा हो। न कि मेडिकल या इंजीनियरिंग का परंपरागत पेशा चुनें। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के लीड इंडिया 2020 अभियान के तहत युवा बेंगलुरू के बैनर तले यह काम किया जा रहा है। अब तक 16 स्कूलों के आठवीं, नौवीं और 10वीं के बच्चों का ये युवा पेशेवर ओरिएंटेशन कर चुके हैं। इसमें उन्होंने स्टूडेंट्स को नए-नए कौशल, अवसर और उद्यम के विकल्पों के बारे में जानकारी दी है।

यह अभियान सिर्फ सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है। और अगले तीन साल तक चलेगा। इसके तहत 2,400 स्टूडेंट्स को कवर करने का लक्ष्य है। इस दौरान डॉक्टर, इंजीनियर और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के पेशेवर बच्चों की प्रतिभा, उनकी रुचि व ताकत का पता लगाएंगे। उन्हें सही दिशा में गाइड करेंगे।

 

फंडा यह है कि...

हम अगर एक समाज के तौर पर अपने देश को बेहतर देखना चाहते हैं तो अपना-अपना योगदान देना होगा। ऐसा हुआ तो अगले 15 साल में इसके नतीजे अपने-आप नजर आने लगेंगे। 

Management Funda - N Raghuraman

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Source: Best People Make Best Nation - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 11th June 2014   

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