शुरुआत के लिए मुफीद हालात का इंतजार मत कीजिए
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
यह पंजाब में हीरो साइकिल फैक्ट्री में हुई हड़ताल से जुड़ा किस्सा है। लेबर यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर
फैक्ट्री के मेन गेट पर ताला लगा दिया। कई यूनियन लीडरों ने ऐलान किया कि जब तक मांगें नहीं मान ली जातीं कोई भी कामगार ड्यूटी पर नहीं आएगा। लोग एक-एक कर काम छोड़कर जाने लगे।
कंपनी के मालिक ओपी मुंजाल उस वक्त फैक्ट्री में ही मौजूद थे। उन्होंने हड़ताल पर जाने से किसी को रोकने की कोशिश नहीं की। वे केबिन से बाहर निकले। फैक्ट्री छोड़कर जाते कामगारों से जोर की आवाज में कहा, 'आप चाहें तो घर जा सकते हैं।...
Source: Don't Wait For a Perfect Conditions to Start - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 24th June 2014
' लोग ठिठक गए। सबकी आंखें उन ओर टिक गईं। तभी मुंजाल आगे बोले, '...मेरे पास ऑर्डर हैं जिन्हें मुझे पूरा करना ही है। मुझे तो काम करना ही होगा।' यह कहते हुए मुंजाल ने शर्ट की आस्तीनें चढ़ाईं और उस तरफ चल पड़े जहां मशीनें लगी थीं। उन्होंने मशीनें चालू कर दीं। काम शुरू किया। उनके साथ दूसरे अफसर भी थे। असिस्टेंट, फ्लोर मैनेजर, सुपरवाइजर आदि।
सभी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे। दलील दे रहे थे कि उनके कद के किसी व्यक्ति को शोभा नहीं देता कि वह इस तरह का काम सीधे अपने हाथ में ले ले। लेकिन मुंजाल कहां सुनने वाले थे। उन्होंने कहा, 'मेरे डीलर और डिस्ट्रिब्यूटर समझ सकते हैं कि फैक्ट्री में हड़ताल की वजह से काम नहीं हो रहा है। लेकिन वह बच्चा कैसे समझेगा जिसे उसके माता-पिता ने इस बर्थडे पर साइकिल दिलाने का वादा किया था और हमारी हड़ताल की वजह से वे उसे साइकिल शायद न दिला पाएं।'
आसपास मौजूद लोग सन्न थे। मुंजाल आगे कह रहे थे, 'अगर मैं अपने बच्चे से इस तरह का वादा करूं तो यह अपेक्षा भी करूंगा कि उस वादे का सम्मान होना चाहिए। इसीलिए मैं अकेले दम जितनी साइकिलें बना सकता हूं बनाऊंगा। मैंने अपने डीलरों से जो वादा किया है उसे जिस हद तक पूरा कर पाया, जरूर करूंगा। वादा तोडऩे के लिए हड़ताल कोई बहाना नहीं हो सकता। किसी भी सूरत में नहीं।' मुंजाल ने साइकिलें असेंबल करने का काम शुरू कर दिया।
यह खबर सभी कामगारों के बीच फैल गई। वे दौड़े-भागे आए और अपने-अपने काम पर लग गए। उस दिन जितने भी ऑर्डर पेंडिंग थे, सब पूरे कर दिए गए। वह भी तय वक्त से पहले। हालांकि उस वक्त कोई नया ऑर्डर नहीं लिया गया। यह काम सिर्फ उन कामगारों ने पूरा कर किया, जो फैक्ट्री के अंदर थे।
यूनियन लीडरों में से कोई भी उस वक्त मौके पर नहीं था। उन्हें पता चलता तो वे हिंसा पर उतारू हो सकते थे। लिहाजा, उस रोज काम पर लौटे सभी कामगार रात में फैक्ट्री में ही रहे। ओमप्रकाश मुंजाल भी उस रात फैक्ट्री में ही रहे। अपना साथ देने वाले कामगारों के साथ बैठकर उन्होंने खाना खाया। उन्हीं के साथ फर्श पर ही सोए।
अगले दिन यूनियन लीडरों को पूरा वाकया पता चला। उनके रुख में भी नरमी आई। मुंजाल की लीडरशिप स्किल का यह एक नमूना था। इसीलिए उन्हें कुछ चुनिंदा बिजनेस लीडरों में गिना जाता है। मुंजाल उन लोगों में से हैं जो सफलता की किसी सामान्य परिभाषा से आगे जाकर सोचते हैं। वे स्थापित नियम-प्रक्रियाओं के साथ बंधकर चलने वालों में से नहीं हैं। बल्कि उन लोगों में से हैं, जिनसे प्रेरित होकर किताबें लिखी जाती हैं।
शायद इसीलिए उनकी कंपनी 'हीरो साइकिल' दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता है। यह सालाना 70 लाख साइकिलें बनाती है। जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है।
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