अच्छा तालमेल बेजान दिल में भी सांसें फूंक सकता है
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
पहली लोकेशन:
मुुंबई की 21 साल की बीकॉम में पढऩे वाली स्टूडेंट वोवी मीनोशेरशोमजी के दिल में सूजन थी। इसे मेडिकल की भाषा में डायलेटेड कार्डियोमियोपैथी कहते हैं। चार साल से वह इस बीमारी से पीडि़त थी। परिवार वालों ने तय किया कि अमेरिका में उसका हार्ट ट्रांसप्लांट कराया जाए, लेकिन डॉक्टरों ने मना कर दिया। क्योंकि अमेरिका में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए वेटिंग बहुत लंबी थी। दो हफ्ते पहले उसे चेन्नई के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। साथ ही स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए उसका नामांकन भी करा दिया गया।
दूसरी लोकेशन:
एक महीने पहले चेन्नई के जनरल हॉस्पिटल में एक 27 साल के व्यक्ति को भर्ती कराया गया था। उसका रोड एक्सीडेंट हुआ था। डॉक्टरों ने काफी कोशिश के बाद भी जब उसमें कोई रिकवरी नहीं देखी तो उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उसके परिजनों ने 15 जून की रात में तय किया कि उसका वेंटिलेटर हटा लिया जाए। साथ ही उसके लिवर, किडनी और हार्ट दान करने का भी फैसला किया।
Source: Good Co-ordination Can Save A Life - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 18th June 2014
चेन्नई के फोर्टिस अस्पताल में 16 जून की सुबह 5.45 बजे जनरल अस्पताल से फोन आया कि एक बे्रन डैड मरीज का वेंटिलेटर हटाया जा रहा है। उसके अंग दान किए जा रहे हैं। फोर्टिस में भर्ती मरीजों में वोवी किस्मत वाली निकली, क्योंकि उसका ब्लड ग्रुप और शरीर का वजन ब्रेन डेड मरीज से मेल खा जाता है। ऐसे में उसे उस मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट किए जाने का रास्ता साफ हो जाता है।
दूसरी लोकेशन :
जनरल हॉस्पिटल में शाम पांच बजे ब्रेन डैड मरीज का हार्ट निकाले जाने की कवायद चल रही है। धड़कते दिल को उसी हालत में निकालने में करीब 90 मिनट लगते हैं। इस काम में कामयाबी मिलते ही यहां के और फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों की टीम के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर जाती है। अब इस दिल को सिर्फ चार डिग्री सेल्सियस तापमान वाले एक खास किस्म जार में रखकर फोर्टिस अस्पताल भेजा जाना है। सब काम खत्म होते ही जनरल हॉस्पिटल ब्रेन डैड मरीज को पूरी तरह मृत घोषित कर देता है।
तीसरी लोकेशन :
जनरल हॉस्पिटल में शाम 5.45 से एक खास एंबुलेंस तैयार खड़ी है। उसे यहां से फोर्टिस अस्पताल तक 12 किलोमीटर का रास्ता 12 ट्रैफिक सिग्नल पार करके तय करना है। इनसे बेखटके एंबुलेंस निकल जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी सिग्नलों पर ट्रैफिक पुलिस के 26 ट्रेंड जवान चार घंटे से तैनात हैं। सबसे आगे एक सब इंस्पेक्टर बाइक पर चलेगा।
चौथी लोकेशन :
शाम 6.44 पर फोर्टिस के डॉक्टरों की टीम विशेष जार में धड़कता दिल लेकर एंबुलेंस में सवार होती है। और पूरा काफिला दनदनाता हुआ जनरल हॉस्पिटल से निकल जाता है। एंबुलेंस के आगे पीछे चल रहे और ट्रैफिक सिग्नलों पर तैनात पुलिस के जवानों के वायरलेस सेट सक्रिय हो जाते हैं। व्यस्त ट्रैफिक में शहर के बीच से यह काफिला फोर्टिस अस्पताल की ओर करीब 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ रहा है।
और अंत में : महज 13 मिनट 22 सेकंड के भीतर यह काफिला शाम करीब 6.57 बजे फोर्टिस अस्पताल में दाखिल होता है। यहां ऑपरेशन थिएटर में पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। वोवी को लाया जा चुका है। डॉक्टरों की टीम दिल लेकर सीधे थिएटर में घुस जाती है। और लगभग साढ़े तीन घंटे की मशक्कत के बाद उसे वोवी के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। ऑपरेशन सफल रहता है। बेजान शरीर का दिल अब एक जिंदा इंसान में धड़क रहा है।
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