जीवन में सज्जनता के असर की आप कल्पना भी नहीं कर सकते
मैनेजमेंट फंडा - एन रघुरामन
मैं पिछले दिनों एक कोयला खदान के दौरे पर था। साथ में शीर्ष मैनेजमेंट टीम के एक सदस्य भी थे। मैंने देखा कि रास्ते में खदान के जितने भी श्रमिक मिले, उन सभी से वे वरिष्ठ अफसर कुशलक्षेम पूछते हुए चल रहे थे। मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी, क्योंकि इससे हमें अपने गंतव्य तक पहुंचने में देर हो रही थी।
मुझे उनका रवैया बड़ा लापरवाह लग रहा था। बहरहाल, हम लिफ्ट से जमीन के करीब 500 मीटर नीचे पहुंचे। कोयला खदान में घुसने का यह मेरा पहला अनुभव था। मुझे अचानक हिंदी फिल्म 'काला पत्थर' में अमिताभ बच्चन का रोल याद आ गया।
मैंने अफसर से पूछा कि अगर यहां कोई दुर्घटना हो जाए और हम फंस जाएं तो क्या करेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा यह कहानी सभी लोगों को सुनाता हूं। आपको भी सुना देता हूं। इससे शायद आपको आपके सवाल का जवाब खुद ही मिल जाएगा।'
Source: One Cannot Imagine the Impact of Generosity in Life - Management Funda - N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st June 2014
उन्होंने कहानी बताना शुरू की।...जॉन एक मीट डिस्ट्रीब्यूशन फैक्ट्री में काम करता था। एक दिन जब उसने रोज का काम खत्म कर लिया तो वह मीट कोल्ड रूम में चला गया। वह कुछ निरीक्षण करने गया था। लेकिन दुर्भाग्य से जब वह अंदर था, तभी कोल्ड रूम का दरवाजा बंद हो गया। वह अकेला वहीं फंस गया। उसने पूरी ताकत से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। चिल्लाया भी। लेकिन किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी। क्योंकि बाहर के भी ज्यादातर लोग जा चुके थे।
कोल्ड रूम के भीतर तापमान शून्य से भी नीचे था। खून जमा देने वाले उस माहौल में जॉन के लिए अपने शरीर को गर्म रखना मुश्किल हो रहा था। पांच घंटे बाद तो वह जमने लगा। मौत की कगार पर ही पहुंच गया। लेकिन तभी संयोग से एक सिक्योरिटी गार्ड ने कोल्ड रूम का दरवाजा खोल दिया। वह न जाने किस काम से आया था। लेकिन जॉन के लिए वह भगवान के द्वारा भेजी मदद के जैसा था। पूरी तरह ट्रेंड उस गार्ड ने कोल्ड रूम में जॉन को देखा तो जरा भी देर नहीं की।
गार्ड ने तुरंत जॉन को एक कंबल से लपेटा और बाहर ले आया। उसके लिए चाय लाकर दी। पूरे शरीर को रगडऩा शुरू कर दिया। ताकि शरीर में कुछ गर्मी आए और जमा हुआ खून रगों में फिर दौडऩे लगे। इससे जॉन की हालत में कुछ सुधार हुआ।
करीब दो घंटे बाद वह सामान्य हो सका। तब उसने गार्ड से पूछा, 'तुम इस वक्त कोल्ड रूम में क्या करने आए थे क्योंकि वहां की निगरानी करना तो तुम्हारा काम नहीं है।' गार्ड ने इसका जो जवाब दिया उसे सुनकर जॉन अवाक् रह गया।
गार्ड कहने लगा, 'मैं इस फैक्ट्री में 35 साल से काम कर रहा हूं। सैकड़ों लोग यहां सुबह-शाम आते-जाते हैं। वे लोग मेरे सामने से ऐसे निकल जाते हैं, जैसे मैं हूं ही नहीं। लेकिन आप उन लोगों में से हैं जो मुझसे रोज आते समय हैलो या गुड मॉर्निंग कहते हैं। और जाते हुए गुड बाय या गुड इवनिंग।
इससे मुझे अहसास होता है कि आप मेरे काम की भी इज्जत करते हैं। मेरी उम्र की कद्र करते हैं। आज सुबह भी आपने मुझसे हैलो कहा था। लेकिन शाम के वक्त आप नहीं दिखे।' गार्ड ने आगे कहा, 'मैं काफी देर तक आपका इंतजार करता रहा। लेकिन जब एक-एक कर सब चले गए और आप फैक्ट्री से नहीं निकले तो मुझे शक हुआ।
मुझे लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। मैंने फैक्ट्री का चप्पा छान मारा। जब आप कहीं नहीं मिले तो कोल्ड रूम खोलकर देखा। यहां आप बेसुध पड़े हुए थे।'...मेरे साथ चल रहे अफसर ने बोलना बंद कर दिया था। और मेरी जुबान पर भी जैसे ताला पड़ गया था। मेरी हर गलतफहमी दूर हो चुकी थी। सभी सवालों का जवाब मिल गया था।
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