कॉमन सेंस भी करोड़पति बना सकता है
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
पोपटराव पवार अब 54 साल के हो चुके हैं। वे अपने गांव में एक समय इकलौते पोस्ट ग्रेजुएट हुआ करते थे। लिहाजा, गांव के युवाओं ने उनसे आग्रह किया कि वे सरपंच का चुनाव लड़ें। लेकिन पवार की इसमें दिलचस्पी नहीं थी। परिवार वाले चाहते थे कि वे शहर जाएं और बढिय़ा-सी नौकरी करें, जबकि पवार क्रिकेटर बनना चाहते थे। खेलते भी अच्छा थे। घर के लोगों को भी लगता था कि वे एक न एक दिन कम से कम रणजी टूर्नामेंट में तो खेल ही लेंगे।
आखिरकार हुआ क्या? पोपटराव गांव के सरपंच ही बने। सिर्फ यही नहीं, उन्होंने गांव को क्रिकेटरों से ज्यादा दौलतमंद बना दिया। हो सकता है, आपको यकीन न हो, क्योंकि जब आप पवार के गांव का इतिहास खंगालेंगे तो मौजूदा स्थिति पर शक हो सकता है। एक समय महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का हिवड़े बाजार नाम का यह गांव गरीबी से त्रस्त था। लोग भी शराब के लती। और तरह-तरह के अपराध आम। लेकिन अब हालात एकदम उलट हैं।
Source: Common Sense Can Make You A Millionaire - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 10th June 2014
कभी भयंकर सूखा प्रभावित इलाके में गिना जाने वाला हिवड़े बाजार आज समृद्धि की उजली मिसाल बन चुका है। यह गांव इसका भी उदाहरण है कि कैसे कॉमन सेंस और पक्का इरादा हालात को 360 डिग्री पर बदल सकता है। इस गांव में 1995 तक लोगों की प्रतिव्यक्ति आय थी-800 रुपए महीना। आज यह 30,000 रुपए महीना हो चुकी है। गांव में करीब 250 परिवार हैं। आबादी 1,550 के करीब। इनमें से 63 लोग करोड़पति हैं। पहले 1995 तक यहां 90 कुएं होते थे। इनमें पानी भी 80 से 125 फीट तक होता था। आज यहां 295 कुएं हैं। और पानी 15 से 45 फीट तक मिल जाता है, जबकि अहमदनगर जिले के दूसरे इलाकों में 200 फीट तक पानी मिल पाता है।
बहरहाल, हिवड़े बाजार आज वह गांव है, जहां हर परिवार खुशहाल है। यह कैसे हुआ? खासकर तब जबकि गांव में सालाना बारिश सिर्फ 15 फीसदी होती थी। कम बारिश की वजह से जमीन बंजर हो चुकी थी। हैरान-परेशान लोग शराब, जुए और लड़ाई-झगड़े में लगे रहते थे। गांव में शराब की 22 दुकानें थीं। ऐसे में जब पवार सरपंच बने तो उन्होंने सबसे पहले ये दुकानें बंद कराईं। शुरुआत मुश्किल थी, लेकिन पवार ने लोगों समझाया और उन्हें गांव में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग के काम में लगाया।
गांव वालों ने मिट्टी के 52 बांध बनाए। बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए दो बड़े टैंक और 32 पथरीले बांध और नौ चैकडैम भी बनाए। सरकार से जो पैसा मिला उसे भी गांव में सही तरीके से इस्तेमाल किया गया। गांव में बारिश हो तो अब भी कम ही रही थी, लेकिन पानी रुक ज्यादा रहा था। इससे सिंचाई का क्षेत्र बढ़ गया। इतने बांध और चैकडैम बनने के बाद पहले मानसून में ही सिंचाई का क्षेत्र 20 हेक्टेयर से बढ़कर 70 हेक्टेयर हो गया। साल 2010 में गांव में सिर्फ 190 मिलीमीटर बारिश हुई, लेकिन खेतों में पैदावार, आसपास के कई गांवों की तुलना में बेहद ज्यादा।
देश का यह इकलौता गांव है, जहां वाटर ऑडिट होती है। चिलचिलाती गर्मी में भी हिवड़े बाजार के पेड़ फलों से लदे होते हैं। पथरीले मैदान पर बसे इस गांव का हर बच्चा स्कूल जाता है और स्कूल में पानी के संरक्षण का कोर्स अनिवार्य है। पानी के संरक्षण के लिए जो भी काम होते हैं, उनमें गांव के सभी लोग स्वेच्छा से हिस्सा लेते हैं। पानी का उपयोग ठीक ढंग से हो रहा है या नहीं, इस पर हर माह ग्रामसभा की बैठक में विचार होता है। निगरानी रखी जाती है।
सूखे के मौसम में मूंग और बाजरा जैसी फसलें खेतों से ली जाती हैं। ये ऐसी फसलें हैं, जिनके लिए कम पानी की जरूरत होती है। जब पानी खूब होता है तो गेहूं जैसी पैदावार ली जाती है। ड्रिप सिंचाई तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है। खासकर सब्जियां उगाने के लिए। बदलाव की यह बयार लाने में पवार और उनके साथियों को 21 साल लगे। अब इसके नतीजे सामने आ रहे हैं। हालांकि अब पवार का दावा है कि वे यही सब काम किसी और जगह के लिए महज दो साल में कर सकते हैं। वे इसके विशेषज्ञ जो हो चुके हैं।
फंडा यह है कि...
किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं। सिर्फ बेसिक कॉमन सेंस एप्लाई करके भी लोगों को करोड़पति बनाया जा सकता है। सवाल सिर्फ एक ही है कि आपका इरादा यह सब करने के लिए कितना बुलंद है।
Source: Common Sense Can Make You A Millionaire - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 10th June 2014
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