एक काम पर फोकस करने से अच्छे नतीजे मिलते हैं
मैनेजमेंट फंडा - एन रघुरामन
जालंधर के एक अग्रणी प्रकाशन हाउस में अजय छाबड़ा जनरल मैनेजर (प्रोडक्शन) हैं। अजय की खासियत है, बल्कि विशेषज्ञता है कि वे टीवी देखते हुए, फोन पर बात करते हुए, मैगजीन के पन्ने पलटते हुए भी ट्वीट कर लेते हैं। हालांकि आजकल इस तरह की विशेषज्ञता और भी कई लोग रखते होंगे, लेकिन फिर भी यह काबिले गौर है। मुझे और अजय को एक बार जालंधर से अमृतसर जाना था। सुबह 10.30 बजे हम निकले। लेकिन रास्ते में अजय को अहसास हुआ कि वे अपने लैपटॉप का चार्जर और कुछ जरूरी कागजात भूल आए हैं। हालांकि वे अपनी कंपनी के सबसे सक्षम अधिकारी माने जाते हैं। लेकिन मैं साफ देख रहा था कि वे किसी विषय विशेष पर अपना फोकस खोते जा रहे हैं। वे अपने दिमाग को व्यव-स्थित नहीं रख पा रहे हैं। यही नहीं उनकी निजी जिंदगी भी प्रभावित हो रही है। कई वजह हो सकती हैं इसकी, लेकिन एक सबसे अहम है। अजय जैसे लोग आजकल कम समय में बेहतर और ज्यादा काम करने का लक्ष्य बना लेते हैं। वे अपने दिमाग को इसी तरह प्रशिक्षित करते हैं। यह काफी मुश्किल होता है।
Source: Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar - 19th October 2013
दूसरी बात- हम भारतीय अपने स्मार्टफोन को इन दिनों काफी अहमियत देने लगे हैं। अग्रणी मोबाइल ब्रांड नोकिया के एक अध्ययन की मानें तो 16 घंटे तक जागते रहने के दौरान हम हर साढ़े छह मिनट में अपने मोबाइल पर नजर डालते हैं। दिन में करीब 150 बार तक। इसे साबित करने के लिए कई उदाहरण दिए जा सकते हैं। चंडीगढ़ के हरप्रीत सिंह 27 साल के है। उन्होंने 2007 में ट्विटर ज्वॉइन किया। अब तक वे 67,000 ट्वीट कर चुके हैं। जबकि 81 लाख बार ट्विटर पर हिट कर चुके हैं। उनके दिन के 15 से 16 घंटे मोबाइल पर ही गुजरते हैं। अजय और हरप्रीत आज की युवाओं की दुनिया के प्रतिनिधि हैं। वह दुनिया जो सूचनाओं से लदी हुई है। आम तौर पर इन लोगों को अपने काम में महारत हासिल है लेकिन उनका ध्यान इन दिनों भटकने लगा है। वे किसी एक विषय पर केंद्रित नहीं रह पाते। एक ही वक्त पर ढेर सारे काम करने का असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। ऐसे में यह सोचने-समझने की जरूरत है कि अपने दिमाग को किसी एक विषय पर केंद्रित किया जाए। प्रसिद्ध लेखिका मार्गरेट मूर की नई किताब का शीषर्क है, ‘ऑर्गनाइज योर माइंड, ऑर्गनाइज योर लाइफ।’ इसी सोमवार को अमेरिका न्यूयॉर्क में इस किताब का लोकार्पण किया गया है। इसमें विषय विशेष पर दिमाग को एकाग्र रखने के मसले पर खास जोर दिया गया है। उनका दावा है कि किताब में इसके लिए प्रभावी तौर-तरीके बताए गए हैं। वे कहती हैं कि अगर व्यक्ति अपने दिमाग को एक ही विषय पर केंद्रित करे तो वह उत्कृष्ट होता है। उनके मुताबिक शरीर के दूसरे हिस्सों की तरह दिमाग भी थकता
है।
इसे साबित करने के लिए अमेरिका के बोस्टन में एक अध्ययन हुआ। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने अपने कुछ अफसरों से कहा कि वे मोबाइल फोन बंद कर लें। फिर उन्हें एक निश्चित समय दिया गया ताकि वे अपने ग्रुप के साथ दिया गया काम पूरा कर सकें। फर्क साफ नजर आया। इस तरीके से न सिर्फ वह काम जल्द और बेहतर ढंग से पूरा हुआ, बल्कि लोगों में थकान भी कम नजर आई। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपको अपने दिमाग को व्यवस्थित करना है तो नियमित एक्सरसाइज करें। जो-जो काम करना है उनकी लिस्ट बना लें। लेकिन यह लिस्ट ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिए। तय करें कि ऑफिस में कम से कम 30 मिनट किसी काम पर पूरा फोकस करेंगे। यह वो समय हो जब आप बंद दरवाजे के भीतर बिना किसी गैजेट्स के पूरी एकाग्रता के साथ सिर्फ काम करें। इन नुस्खों को आजमा कर देखें नतीजे अपने आप बेहतर नजर आएंगे।
है।
इसे साबित करने के लिए अमेरिका के बोस्टन में एक अध्ययन हुआ। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने अपने कुछ अफसरों से कहा कि वे मोबाइल फोन बंद कर लें। फिर उन्हें एक निश्चित समय दिया गया ताकि वे अपने ग्रुप के साथ दिया गया काम पूरा कर सकें। फर्क साफ नजर आया। इस तरीके से न सिर्फ वह काम जल्द और बेहतर ढंग से पूरा हुआ, बल्कि लोगों में थकान भी कम नजर आई। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपको अपने दिमाग को व्यवस्थित करना है तो नियमित एक्सरसाइज करें। जो-जो काम करना है उनकी लिस्ट बना लें। लेकिन यह लिस्ट ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिए। तय करें कि ऑफिस में कम से कम 30 मिनट किसी काम पर पूरा फोकस करेंगे। यह वो समय हो जब आप बंद दरवाजे के भीतर बिना किसी गैजेट्स के पूरी एकाग्रता के साथ सिर्फ काम करें। इन नुस्खों को आजमा कर देखें नतीजे अपने आप बेहतर नजर आएंगे।
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