किसी की जिंदगी रोशन कर मनाएं रोशनी का त्योहार
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
फातिमा शकीरंद 16 साल की है। पूर्वी बेंगलुरू के एक पॉश कहे जाने वाले इलाके में मौजूद प्रेसिडेंसी स्कूल में पढ़ती है। वह अपने स्कूल के हमउम्र बच्चों के साथ 24 अक्टूबर को एक गरीब बस्ती में गई। वहां के सरकारी प्राइमरी स्कूल में। वहां बच्चों से बातचीत की। यह पहल स्कूल की थी और फातिमा के अलावा 20 बच्चे इसका हिस्सा बने थे। लेकिन इन बच्चों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि यह कार्यक्रम उन्हें अंदर तक बदल कर रख देगा। सरकारी स्कूल की इस यात्रा ने उनको अहसास कराया कि वे कितने खुशकिस्मत हैं। उन्होंने देखा कि यह स्कूल कुल जमा एक ही कमरे का था। इसमें दो अलग-अलग कक्षाओं के बच्चे आधे-आधे हिस्से में एक साथ एक ही वक्त पर बैठकर पढ़ रहे थे। खेलने के लिए एक छोटी सी जगह, जहां ठीक से उनका दौड़ना भी मुश्किल था। जब लंच टाइम हुआ तो इन बच्चों को स्कूल से करीब एक किलोमीटर दूर ले जाया गया। मिड-डे मील देने के लिए। वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता भी कीचड़, गोबर, कचरे और गटर के पानी से भरा हुआ।
Source: Illumine Someone's Life To Celebrate Festival Of Lights - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 7th November 2013
इस पूरी कवायद में फातिमा और उसकी टीम का पूरा फंड खत्म हो गया। लेकिन उन्हें यकीन है कि वे सभी 140 बच्चों के लिए जूते खरीदने में कामयाब हो जाएंगे। इसके लिए उन्हें इस साल के आखिर तक का ही वक्त लगेगा। यानी ये बच्चे अपनी उम्र के न जाने कितने बच्चों के लिए रोल मॉडल के तौर पर सामने आए हैं। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट मानें तो भारत में दुनिया की कुल आबादी के करीब एक तिहाई गरीब बच्चे रहते हैं। भारत में तीन नवंबर को धूमधाम से दिवाली मनाई गई। इसी दिन अमेरिका के चाइल्डफंड इंटरनेशनल ने एक कार्यक्रम लॉन्च किया। इसका शीर्षक है, ‘गिव बैक टु इंडिया।’ इस अभियान के तहत अमेरिका में रह रहे भारतीयों को भारत के गरीब बच्चों की दशा और जरूरतों के बारे में जागरूक किया जाएगा। ताकि वे जरूरतमंद बच्चों की मदद कर सकें। इसी तरह की एक पहल पिछले हफ्ते सामाजिक कार्यकर्ता नफीसा अली ने की। उन्होंने चंडीगढ़ के गरीब बच्चों को दिवाली पर उपहार बांटे और उनके साथ वक्त भी बिताया। इस तरह के काम करने वालों की सूची का कोई अंत नहीं है। ढेरों लोग हैं जो जरूरतमंद बच्चों की जरूरतों को समझकर उन्हें पूरा करने में लगे हुए हैं। उनकी जिंदगी में उजियारा लाने में जुटे हुए हैं।
फंडा यह है कि..
रोशनी का त्यौहार तब तक अधूरा है जब तक कि इस मौके पर किसी की जिंदगी रोशन न की जाए। खासकर उन लोगों की जो अंधेरों में रह रहे हैं।
Source: Illumine Someone's Life To Celebrate Festival Of Lights - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 7th November 2013
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