संपर्क से ज्यादा मानवीय और भावनाओं से भरा है संवाद
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
इस साल दिवाली पर मेरे घर काफी लोग आए। इतने सारे लोगों को देखकर काफी आनंद आया। खास मौकों पर आने वाले लोग मुझसे बात करना चाहते थे। जबकि जो लोग आते रहते हैं वे आंखों के इशारों से ही संदेश ले और दे रहे थे। लेकिन उनकी अंगुलियां फोन पर नाच रही थीं। शायद वे उसमें संदेश भेजने व आए संदेशों के जवाब देने में व्यस्त थे। जरा सोचिए। छोटी सी चीज (मोबाइल) जो हम सबके पास है, कितनी ताकतवर है। इसने हमें कितना बदल दिया है। इसके मार्फत अब हम एक नए चलन के अभ्यस्त हो गए हैं। ‘अकेले होकर भी सबके साथ रहने का चलन।’ तकनीक ने हमें इतना सक्षम बना दिया है कि हम कभी भी, कहीं भी, किसी से भी जुड़े रहे सकते हैं।
Source: More Than The Contact, Dialogue Is Filled With Emotions and Humanity - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th November 2013
मैं कुछ दूरी पर खड़ा होकर ऑफिस का नजारा देख रहा था। इसलिए नहीं कि मुझे युवाओं को देखने में दिलचस्पी थी। बल्कि इसलिए कि मैं नई पीढ़ी के काम करने का तौर-तरीका समझने की कोशिश कर रहा था। संपर्क और संबंधों की यह शांति अजीब है। लोग बेहद सावधानी से खुद किनारे पर खड़े होकर ढेरों लोगों से जुड़े हुए है। यह जुड़ाव इस तरह का है जिसे हम कह सकते हैं कि न ज्यादा दूर न पास। न ज्यादा, न कम। बिल्कुल ठीक। इस संबंध और संपर्क को जब चाहो तब संपादित कर लो। यानी काट-छांट कर लो और जब चाहो तब डिलीट यानी खत्म। मानव संबंध बहुत समृद्ध हैं। वे अस्तव्यस्त और कभी तृप्त न होने वाले होते हैं। हमने तकनीक के जरिए उन्हें साफ करना सीखा है। संवाद से संपर्क की ओर शिफ्ट होने की यह प्रक्रिया इसी का हिस्सा है। लेकिन इस प्रक्रिया में हम काफी बदल गए हैं। इसका सबसे बुरा पहलू ये है कि हमने अब एक-दूसरे की कद्र करना छोड़ दिया है। हम भूल गए हैं कि आपस में मतभेद होना आम बात है। संवाद जब आमने-सामने होता है तो यह हमें धर्य रखना सिखाता है। लेकिन जब हम डिजिटल डिवाइस के जरिए बातचीत करते हैं तो कुछ दूसरी आदतें हममें पड़ जाती हैं। उदाहरण के लिए हम हर किसी से बहुत जल्दी जवाब की अपेक्षा करने लगते हैं। इसे हासिल करने के लिए जल्दी-जल्दी और आसान से सवाल पूछते जाते हैं। कभी-कभी तो हम बीच में किसी अहम मसले पर बातचीत को अचानक रोक देते हैं। क्या यह अच्छा कहा जा सकता है..?
फंडा यह है कि..
संपर्क और संवाद के बीच हमें ध्यान रखना चाहिए कि संपर्क कभी संवाद से आगे न निकल पाए, क्योंकि संवाद अधिक मानवीय और भावनाओं से भरा हुआ है।
Source: More Than The Contact, Dialogue Is Filled With Emotions and Humanity - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th November 2013
No comments:
Post a Comment