Friday, November 1, 2013

Start Saying NO And Face Your Challenges - Management Funda - N Raghuraman - 1st November 2013

‘ना’ कहना छोड़ें और चुनौतियों का सामना करें

  मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन



पहली कहानी: वह केवल 13 साल की थी। उसका शारीरिक विकास इतना नहीं हुआ था कि वह फिल्मों में हीरोइन की भूमिका अदा कर पाए। लेकिन मेकअप आर्टिस्ट ने उसे ऐसा रूप दिया कि वह ‘यादों की बारात’ में लीड हीरोइन के रूप में सामने आई। उसे यह भूमिका इसलिए मिली, क्योंकि वह सकारात्मक थी। उसे जो करने को कहा जाता वह कर देती। उसने किसी काम के लिए मना नहीं किया। एक फिल्म में उसके हीरो अमिताभ बच्चन थे। इसमें उसे डायलॉग के तौर पर अमिताभ बच्चन को ‘आई लव यू’ कहना था। 

 Source: Start Saying NO And Face Your Challenges - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st November 2013
उसने अपना यह डायलॉग मंजे हुए कलाकार की तरह डिलीवर किया। इससे प्रभावित होकर बाद में अमिताभ ने उससे पूछा था, तुमने जो डायलॉग बोला है उसका मतलब भी जानती हो? लेकिन तब वह इसका मतलब नहीं जानती थी। 15 साल की उम्र में उसका एक ब्वॉयफ्रेंड बना। तब उसके जीवन में मां और इस ब्वॉयफ्रेंड के अलावा और कोई नहीं था। मां ने उसे कभी अकेला नहीं छोड़ा। ब्वॉयफ्रेंड नहीं चाहता था कि वह रात साढ़े आठ बजे के बाद शूटिंग करे। वह एक बंद प्रेशर कुकर की तरह दिन काट रही थी। उसने अस्टार होने का कभी गुमान नहीं किया, इसलिए सेट पर जूनियर आर्टिस्टों के साथ खेलती और गपशप करती।

21 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई। इसी के बाद उसकी परेशानियां धीरे-धीरे बढ़ने लगीं, क्योंकि मां और पति दोनों का उस पर वर्चस्व था। वह यह बात वह शादी के पहले से जानती थी। इसलिए उसने मां को पहले ही आर्थिक रूप से मजबूत कर दिया था। जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच उसने भावनाओं को काबू में रखा। इधर जिम्मेदारियां बढ़ती गईं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, परवरिश, मां और पति-सास की देखभाल जैसे काम उसने बखूबी संभाले। यह और कोई नहीं नीतू सिंह हैं। रणबीर कपूर की मां और ऋषि कपूर की पत्नी। जुझारू व्यक्तित्व की मालकिन, जिसने युवावस्था से ही चुनौतियों का सामना किया। करिअर के शिखर पर होने पर ही विवाह हो गया था। जल्द ही मां भी बन गई। यह ऐसा समय था जब करिअर पति से बेहतर नजर आ रहा था। ऐसे समय नीतू सिंह ने अपनी चुनौतियों को स्वीकार किया और किसी को ‘ना’ नहीं किया।

दूसरी कहानी: जिस महिला की संपत्ति 1763 करोड़ रुपए आंकी गई है वह साल में तीन दिन सुबह चार बजे जागकर राघवेंद्र स्वामी मंदिर जाती हैं। यह मंदिर बेंगलुरू के जयानगर स्थित उनके घर के पीछे है। वह अपने एक सहायक के साथ मंदिर के पिछले क्षेत्र में बने किचन में चली जाती हैं। वे चार घंटे किचन में रहती हैं। इस दौरान वे बर्तन साफ करने से लेकर शेल्फ की साफ-सफाई का काम खुद ही निपटाती हैं। यह महिला कोई और नहीं, इन्फोसिस चेयरमैन नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति हैं। वे किचन में किसी की मदद नहीं लेती हैं। सिर्फ भारी सामान उठाने के लिए उन्हें सहायक की जरूरत पड़ती है। किचन का काम निपटाने के बाद वह दो-मंजिला घर के अगले हिस्से आ जाती हैं, जहां वह 25 साल से रह रही हैं। सुधा मूर्ति सिख समुदाय के कार सेवा के दर्शन से प्रभावित हैं। उनका मानना है कि पैसा देना आसान है, क्योंकि इसमें सिर्फ लेन-देन ही करना होता है, लेकिन शारीरिक श्रम करना आसान नहीं है। इसलिए वह इसे तवज्जो देती हैं। वह देखना चाहती हैं कि एक आम आदमी की तरह सारे काम खुद कर सकती हैं या नहीं। सभी चुनौतियों को अपने पर ही आजमाती हैं। उनका विश्वास है कि भगवान के सामने हर कोई एक जैसा है उसे अपने मूल कामों को नहीं भूलना चाहिए।


फंडा यह है कि..

यदि आप किसी चुनौती के सामने आने पर जवाब में ‘ना’ नहीं कहने की आदत डाल लेते हैं तो जो चाहे वह पा सकते हैं।

 






















Source: Start Saying NO And Face Your Challenges - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 1st November 2013

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