स्कूल/ कॉलेज के ड्रॉप आउट जिंदगी में पीछे रहें जरूरी नहीं
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
सेलिब्रिटी की कहानी:
वह झूठा है। असभ्य है। उसने अपनी उम्र के संबंध में गलत जानकारी दी है। इसलिए बीसीसीआई की इनडोर क्रिकेट अकादमी में उसे नहीं रहना चाहिए। उसे बाहर कर दिया जाना चाहिए। चार साल पहले 2009 में जब उसने हैरिस शील्ड में 439 रन बनाए तो कुछ इसी तरह उसके खिलाफ दलीलें दी गईं। तब वह 15 साल का था। रोज स्कूल नहीं जाता था। इसलिए उसे क्रिकेट के सत्र के बीच ट्यूशन दी जाती थी। लेकिन इन्हीं आलोचनाओं के बीच उसने जूनियर क्रिकेट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका के एक गेंदबाज की खूब धुनाई की।
Source: Its Not Necessary School / College Dropouts Are Left Behind in Life - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 15th January 2014
महज 66 गेंदों पर 101 रन बना दिए। इस पर विपक्षी टीम ने उनके खिलाफ कमेंट किए। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। कहता भी कैसे? वह अंग्रेजी का एक शब्द भी नहीं समझता था। लेकिन सरफराज खान एक चीज तो अच्छी तरह समझता था। ये कि वह भी एक दिन युवराज सिंह, विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा की तरह ऊंचाई पा सकता है। इसलिए वह चुपचाप रन बनाता रहा। अपने काम में लगा रहा। और बीते सोमवार को ही उसे भारत की अंडर-19 वल्र्ड कप टीम में जगह दी गई है। यानी अब लोग उसके बल्ले की ही चर्चा करेंगे। आलोचना नहीं।
आम आदमी की कहानी:
अंगद दरयानी को यह बेहद पसंद है कि ऑटोमेशन, रोबोटिक, इलेक्ट्रॉनिक आर्ट से जुड़े स्रोत सबके लिए खुले हों। ताकि सब लोग इस तरह के प्रोजेक्ट को अंजाम दे सकें। लेकिन अंगद की भी कई लोग आलोचना करते हैं। उसे ड्रॉप आउट कहा जाता है। क्योंकि उसने नौवीं कक्षा के बाद स्कूल जाना छोड़ दिया था। आम तौर पर यह वो साल होता है जब बच्चे अपने भविष्य पर गंभीरता से ध्यान केंद्रित करना शुरू करते हैं। इससे आगे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा होती है। फिर कॅरिअर एक दिशा लेता है।
लेकिन अंगद ने यहीं से स्कूल छोड़ दिया। हालांकि वह पढ़ाई में बुरा नहीं था। कक्षा के टॉप तीन बच्चों में उसकी गिनती होती थी। लेकिन उसे लगा कि वह स्कूल और ट्यूशन में बहुत ज्यादा टाइम खराब कर रहा है। और यहां से उसे जो ज्ञान मिल रहा है वह जिंदगी में ज्यादा काम भी नहीं आने वाला। सो बस उसने वहीं फुल स्टॉप लगा दिया। इसके बाद पूरा एक साल यूं ही बर्बाद चला गया। स्कूल का कोई स्टूडेंट्स उससे मिलने नहीं आता था। उसकी जिंदगी उसके अपने एक कंप्यूटर और कुछ इंजीनियरों तक सिमट कर रह गई थी।
अंगद के माता-पिता उसे लेकर चिंतित हो रहे थे। लेकिन तभी अंगद की प्रतिभा का नमूना सामने आया। पिछले शनिवार को इस 15 साल के बच्चे ने 3डी प्रिंटर विकसित किया। निश्चित रूप से यह डिवाइस भारत या दुनिया में पहली नहीं है। लेकिन अंगद इस डिवाइस की तकनीक को क्रैक करना वाला दुनिया का सबसे कम उम्र का शख्स जरूर है। उसका 3डी प्रिंटर कीमत में भी बाकियों से 500 फीसदी तक कम है। बाजार में मौजूद 3डी प्रिंटर्स की कीमत एक लाख रुपए से ज्यादा है। लेकिन अंगद की डिवाइस की कीमत 18 से 20 हजार रुपए के बीच ही है।
सिर्फ यही नहीं, अंगद के इस 3डी प्रिंटर की किट इस तरह की है कि उसे कोई भी असेंबल कर सकता है। इस बच्चे का लक्ष्य बहुत साधारण है। ये कि वह आम आदमी के लिए महंगी पड़ रही हर चीज को कम दाम में लोगों के लिए तैयार कर सके। अब वह वर्चुअल ब्रेलर बनाने की कोशिश में जुटा है। दृष्टिहीनों के लिए यह डिवाइस काम आएगी। ये पीडीएफ और टेक्स्ट फाइलों को रियल टाइम में कन्वर्ट करेगी। इसे बनाने के लिए युवा टेक जीनियस अंगद आईआईटी बॉम्बे में ट्री लैब्स के कुछ पीएचडी स्टूडेंट्स के साथ काम कर रहा है।
फंडा यह है कि...
उन लोगों को ड्रॉप आउट करने के बजाय वॉक आउट कहना चाहिए, क्योंकि इनमें से ज्यादातर वे लोग होते हैं जो अपनी ताकत की आजमाइश के लिए एक सैट पैटर्न से बाहर आते हैं।
Source: Its Not Necessary School / College Dropouts Are Left Behind in Life - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 15th January 2014
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