अलग दिखना है तो कुछ तरोताजा और नया सोचिए
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
पहली कहानी:
किसी मंदिर से लोगों को प्रसाद के अलावा क्या मिल सकता है? ये फूल हो सकते हैं, माला या फिर और कोई खाने-पीने की चीज। लेकिन झारखंड के रांची में रातू रोड पर स्थित पहाड़ी मंदिर ने कुछ अलग सोचा है। यहां आने वाले लोगों को जैविक खाद देने का फैसला किया गया है। साथ ही उन्हें मंदिर के आसपास पौधारोपण करने को कहा जाएगा। और वहीं इस खाद का उपयोग करने की ताकीद की जाएगी। जैविक खाद का उत्पादन मंदिर खुद करेगा है। यहां से जो उपयोग हो चुकीं माला-फूल-बेल पत्ती और पूजा के दूसरे पदार्थ निकलते हैं उनसे कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। इस तरह यह मंदिर पहली धार्मिक जगह बन गया है जहां वर्मी कंपोस्ट पर निवेश किया जा रहा है।
Source: If you Want to Look Different Then Think New and Afresh - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th January 2014
मंदिर के पीछे वाले हिस्से में एक लाख रुपए की लागत से वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाया गया है। यहां खाद बनाने वाले चार कंपोस्ट पिट (गड्ढे) हैं। हर गड्ढा 12 फीट लंबा है और तीन फीट चौड़ा। पहले लॉट में छह टन जैविक खाद का उत्पादन होगा। पिछले रविवार से काम शुरू हुआ है। पहला लॉट तैयार होने में दो महीने लगेंगे। हर पिट में चार-चार परत बिछाई गई हैं। इनमें मंदिर से निकलने वाला कचरा और गाय का गोबर डाला गया है। हर परत छह इंच की है। खाद बनाने के लिए हर गड्ढे में केंचुए डाले गए हैं। और रोज समय-समय पर करीब 20 टन पानी भी इनमें छिड़का जाता है। इस प्लांट के रखरखाव का जिम्मा सब्जी उगाने वालों की स्थानीय सोसायटी को दिया गया है।
इस सोसायटी के लोग वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में एक्सपर्ट हैं। अब मंदिर से निकलने वाले पूरे कचरे को जो खाद बनाने में काम आ सकता है, संभालकर रखा जाता है। जब जैविक खाद का पहला लॉट तैयार हो जाएगा, इस कचरे को कंपोस्ट पिट में डाला जाएगा। यह आइडिया तब आया जब कुछ जागरूक लोगों ने मंदिर में कचरे का ढेर देखा। इससे वहां साफ-सफाई की समस्या गंभीर हो रही थी। उन्होंने सोचा कि आखिर इस कचरे का बेहतर इस्तेमाल कैसे हो सकता है? और जवाब में जैविक खाद का आइडिया सामने था। अब जबकि मंदिर में खाद का उत्पादन शुरू हो चुका है, वहां प्रबंधन ने रिटेल काउंटर खोलने की भी योजना बनाई है। वहां से जैविक खाद बेची जाएगी।
दूसरी कहानी:
इस सोसायटी के लोग वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में एक्सपर्ट हैं। अब मंदिर से निकलने वाले पूरे कचरे को जो खाद बनाने में काम आ सकता है, संभालकर रखा जाता है। जब जैविक खाद का पहला लॉट तैयार हो जाएगा, इस कचरे को कंपोस्ट पिट में डाला जाएगा। यह आइडिया तब आया जब कुछ जागरूक लोगों ने मंदिर में कचरे का ढेर देखा। इससे वहां साफ-सफाई की समस्या गंभीर हो रही थी। उन्होंने सोचा कि आखिर इस कचरे का बेहतर इस्तेमाल कैसे हो सकता है? और जवाब में जैविक खाद का आइडिया सामने था। अब जबकि मंदिर में खाद का उत्पादन शुरू हो चुका है, वहां प्रबंधन ने रिटेल काउंटर खोलने की भी योजना बनाई है। वहां से जैविक खाद बेची जाएगी।
दूसरी कहानी:
इस साल आईआईएम कोलकाता के 10 स्टूडेंट्स अब तक पॉलिटिकल इंटर्नशिप के लिए एप्लाई कर चुके हैं। इन्हें पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ राजनीतिका प्रशिक्षण लेना है। अन्य इच्छुक स्टूडेंट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशंस 31 जनवरी तक ली जाएंगी। पार्टी बाकायदा एक प्रक्रिया के तहत उन लोगों का चयन करेगी, जो उसके साथ इंटर्नशिप करेंगे। फरवरी तक चयन प्रक्रिया पूरी होगी। आईआईएम के स्टूडेंट्स के बीच पॉलिटिकल इंटर्नशिप का रुझान बढ़ रहा है। खासकर वे जो पब्लिक पॉलिसी में अपना करियर बनाना चाहते हैं। दिल्ली में कांग्रेस हो, भाजपा या वामदल। सभी के मुख्यालय में ऐसे ढेरों स्टूडेंट्स मौजूद हैं।
साल 2009 में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ उनके कैंपेन में आईआईएम कोलकाता के स्टूडेंट हर्षवर्धन छापडिय़ा सक्रिय थे। इसी तरह 2011 में ममता बनर्जी के साथ एच. श्रीराम और मंशा टंडन सक्रिय रहे। इन्होंने पब्लिक पॉलिसी, पॉलिटिक्स ऑफ डेवलपमेंट और पॉलिटिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। इन सभी स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप पूरी करते ही मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़ी नौकरियां मिल गईं। पॉलिटिकल इंटर्नशिप नौकरी में उनके बड़े काम आई। उन्हें चुनौतियों का सामना करने और तेजी से प्रभावी फैसले लेने में इससे मदद मिली। इस तरह के स्टूडेंट्स की क्षमताओं को देखते हुए मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच भी इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है।
साल 2009 में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ उनके कैंपेन में आईआईएम कोलकाता के स्टूडेंट हर्षवर्धन छापडिय़ा सक्रिय थे। इसी तरह 2011 में ममता बनर्जी के साथ एच. श्रीराम और मंशा टंडन सक्रिय रहे। इन्होंने पब्लिक पॉलिसी, पॉलिटिक्स ऑफ डेवलपमेंट और पॉलिटिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। इन सभी स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप पूरी करते ही मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़ी नौकरियां मिल गईं। पॉलिटिकल इंटर्नशिप नौकरी में उनके बड़े काम आई। उन्हें चुनौतियों का सामना करने और तेजी से प्रभावी फैसले लेने में इससे मदद मिली। इस तरह के स्टूडेंट्स की क्षमताओं को देखते हुए मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच भी इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है।
फंडा यह है कि...
अगर आप अलग दिखना चाहते हैं। कुछ हासिल करना चाहते हैं तो कुछ तरोताजा सोचिए। इसे आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग कहते हैं। नए कंसेप्ट पर काम कीजिए। नतीजे अपने आप सामने आने लगेंगे।
Source: If you Want to Look Different Then Think New and Afresh - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 8th January 2014
No comments:
Post a Comment