तेज तरक्की करनी है तो एक जैसे हालात में न पड़ें
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
आपसे एक सवाल। दुनिया के तीन सबसे अच्छे निवेशक और व्यावसायिक रणनीतिकारों के नाम बताइए? इसके जवाब में ज्यादातर लोग शुरू के दो नाम वारेट बफेट और सैम वाल्टन के लेंगे। लेकिन तीसरे का नाम बता पाना शायद मुश्किल हो। यह वैसा ही जैसे कि आप पहली बार चांद पर उतरे इंसान का नाम तो बता दें। नील आर्मस्ट्रांग। लेकिन उस दूसरे शख्स का नाम शायद न बता पाएं जो नील के साथ ही चांद पर उतरे थे। वे थे बज एल्ड्रिन। इन दोनों के साथ तीसरे व्यक्ति थे माइकल कॉलिन्स। जिस वक्त 20 जुलाई 1969 को नील और एल्ड्रिन चांद पर उतरे, कॉलिन्स अंतरिक्ष यान की कमान संभाल रहे थे।
Source: If You Want To Succeed Fast Then Do Not Fall In Same Situation - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 2nd January 2014
इसी तरह दुनिया के तीसरे सबसे अच्छे निवेशकों और व्यावसायिक रणनीतिकारों में एक बड़े टेनिस खिलाड़ी का नाम आता है। वे ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में पैदा हुए। वहां से अमेरिका गए। उनके पिता स्विट्जरलैंड के थे और डेयरी का व्यवसाय करते थे। स्कूल के दिनों में टेनिस खेलते हुए वे विंबलडन टूर्नामेंट तक पहुंचे। दो बार डेविस कप खेला। एक बार ब्राजील के लिए। दूसरी बार स्विट्जरलैंड के लिए। बताते चलें कि इन शख्स को ब्राजील व स्विट्जरलैंड दोनों की नागरिकता मिली हुई है। पांच बार वे ब्राजीलियन टेनिस चैंपियन बने। टेनिस की वजह से ही उन्हें 1958 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला। लेकिन उन्हें हार्वर्ड में अच्छा नहीं लगा। रियो के समुद्र तटों की उन्हें अक्सर याद आती रहती थी। लिहाजा उन्होंने अपने कोर्स को चार के बजाय तीन साल में ही कंप्लीट कर लिया। वे जब इस कोर्स में एडमिशन ले रहे थे तो उन्होंने प्रोफेसरों और पुराने स्टूडेंट्स से बातचीत की। इस तरह एडमिशन से पहले ही पूरे सिलेबस की जानकारी ले ली। यह भी पता लगा लिया कि फाइनल एक्जाम का समय हर साल एक सा नहीं होता। लाइब्रेरी से उन्होंने पुराने प्रश्नपत्र हासिल किए। उनके जरिए ही उन्हें यह जानकारी मिली।
इस सबके जरिए वे एक साल के भीतर दो परीक्षाएं दे सके। हालांकि उन्होंने नापसंदगी के बावजूद हार्वर्ड को छोड़ा नहीं। वे जानते थे कि यहां आपको रचनात्मक रूप से सोचने और कुछ न कुछ करने के लिए मजबूर किया जाता है। और इसे वे अपने भविष्य के लिहाज से जरूरी समझते थे। विश्लेषण की उनकी इस सोच और दृष्टिकोण ने ही उन्हें एक सफल निवेशक व रणनीतिकार के तौर पर स्थापित किया। आज वे 74 साल के हो चुके हैं। उनके साथ उनके दो साझीदार हैं-मार्सेल हरमन टेलीज ओर कार्लोस अलबर्टो सिसुपीरा। ये तीनों लोग अमेरिका की तीन बड़ी कंपनियों पर नियंत्रण रखते हैं। हींज कैचअप, बर्गर किंग और बडवाइजर बीयर। ब्लेड बनाने वाली कंपनी जिलेट में भी इन लोगों के पास निर्णायक हिस्सेदारी है। वे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य हैं। इतनी सारी जानकारी के बाद जाहिर तौर इन शख्स का नाम जानने की उत्सुकता बढ़ चुकी होगी। तो ये जनाब हैं- जॉर्ज पाउलो लेमैन। बडवाइजर बीयर के मालिक हैं लेकिन कभी पीते नहीं। शराब छोड़ चुके हैं। फिर भी दुनिया में बिकने वाली हर पांच बीयर की बोतल में एक बडवाइजर की होती है।
लेमैन बर्गर किंग का एक बर्गर खा पाते हैं। वह भी खरीदकर। इस कंपनी की दुनिया भर की बर्गर बिक्री में हिस्सेदारी 20 फीसदी है। हींज का टोमैटो कैचअप भी लेमैन को आकर्षित नहीं करता। इसकी जगह उन्हें टमाटर का सलाद खूब भाता है। लेकिन दुनिया में बिकने वाली हर छह टोमैटो कैचअप की बोतलों में एक हींज की होती है। और जिलेट की तो बात ही क्या? सब जानते हैं कि दुनिया में आज इस ब्लेड की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। कंपनियों को लेकर लेमैन का नजरिया वैसा ही है जैसा हार्वर्ड में परीक्षा देते वक्त हुआ करता था। उनके मुताबिक कंपनी पर नजदीकी नजर रखो। जैसे किसी मशीन को खोलते वक्त उसके हर नट-बोल्ट का ख्याल रखते हैं। उसकी ताकत और कमजोरी को समझो, फिर खरीदो। इसके बाद जहां-जहां कंपनी कमजोर है, उस पर काम करो। खामियों को दुरुस्त करो। ठीक हो जाएं तो कंपनी चलाने की जिम्मेदारी पेशेवर लोगों पर छोड़ दो। और अगली कंपनी खरीदने के लिए निकल पड़ो।
लेमैन कमाल के श्रोता हैं। वे हर चीज को ध्यान से सिर्फ सुनते ही नहीं काम की चीजों के नोट्स भी लेते हैं। इससे उन्हें एक से अगले उत्पाद और एक से दूसरी कंपनी की तरफ जाने में मदद मिलती है। एक सपना पूरा होते ही वे अगले लक्ष्य की ओर निकल पड़ते हैं। दोबारा पीछे की ओर नहीं देखते।
इस सबके जरिए वे एक साल के भीतर दो परीक्षाएं दे सके। हालांकि उन्होंने नापसंदगी के बावजूद हार्वर्ड को छोड़ा नहीं। वे जानते थे कि यहां आपको रचनात्मक रूप से सोचने और कुछ न कुछ करने के लिए मजबूर किया जाता है। और इसे वे अपने भविष्य के लिहाज से जरूरी समझते थे। विश्लेषण की उनकी इस सोच और दृष्टिकोण ने ही उन्हें एक सफल निवेशक व रणनीतिकार के तौर पर स्थापित किया। आज वे 74 साल के हो चुके हैं। उनके साथ उनके दो साझीदार हैं-मार्सेल हरमन टेलीज ओर कार्लोस अलबर्टो सिसुपीरा। ये तीनों लोग अमेरिका की तीन बड़ी कंपनियों पर नियंत्रण रखते हैं। हींज कैचअप, बर्गर किंग और बडवाइजर बीयर। ब्लेड बनाने वाली कंपनी जिलेट में भी इन लोगों के पास निर्णायक हिस्सेदारी है। वे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य हैं। इतनी सारी जानकारी के बाद जाहिर तौर इन शख्स का नाम जानने की उत्सुकता बढ़ चुकी होगी। तो ये जनाब हैं- जॉर्ज पाउलो लेमैन। बडवाइजर बीयर के मालिक हैं लेकिन कभी पीते नहीं। शराब छोड़ चुके हैं। फिर भी दुनिया में बिकने वाली हर पांच बीयर की बोतल में एक बडवाइजर की होती है।
लेमैन बर्गर किंग का एक बर्गर खा पाते हैं। वह भी खरीदकर। इस कंपनी की दुनिया भर की बर्गर बिक्री में हिस्सेदारी 20 फीसदी है। हींज का टोमैटो कैचअप भी लेमैन को आकर्षित नहीं करता। इसकी जगह उन्हें टमाटर का सलाद खूब भाता है। लेकिन दुनिया में बिकने वाली हर छह टोमैटो कैचअप की बोतलों में एक हींज की होती है। और जिलेट की तो बात ही क्या? सब जानते हैं कि दुनिया में आज इस ब्लेड की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। कंपनियों को लेकर लेमैन का नजरिया वैसा ही है जैसा हार्वर्ड में परीक्षा देते वक्त हुआ करता था। उनके मुताबिक कंपनी पर नजदीकी नजर रखो। जैसे किसी मशीन को खोलते वक्त उसके हर नट-बोल्ट का ख्याल रखते हैं। उसकी ताकत और कमजोरी को समझो, फिर खरीदो। इसके बाद जहां-जहां कंपनी कमजोर है, उस पर काम करो। खामियों को दुरुस्त करो। ठीक हो जाएं तो कंपनी चलाने की जिम्मेदारी पेशेवर लोगों पर छोड़ दो। और अगली कंपनी खरीदने के लिए निकल पड़ो।
लेमैन कमाल के श्रोता हैं। वे हर चीज को ध्यान से सिर्फ सुनते ही नहीं काम की चीजों के नोट्स भी लेते हैं। इससे उन्हें एक से अगले उत्पाद और एक से दूसरी कंपनी की तरफ जाने में मदद मिलती है। एक सपना पूरा होते ही वे अगले लक्ष्य की ओर निकल पड़ते हैं। दोबारा पीछे की ओर नहीं देखते।
फंडा यह है कि...
अगर आप जिंदगी में एक से हालात और चीजों में दोबारा नहीं फंसना चाहते तो अच्छे श्रोता बनिए। सजग श्रोता। हालात का अच्छी तरह विश्लेषण कीजिए। नफे-नुकसान का आकलन कीजिए। इसके बाद अपने लक्ष्य की तरफ बढि़ए।
Source: If You Want To Succeed Fast Then Do Not Fall In Same Situation - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 2nd January 2014
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