अच्छे आइडिया पर काम नहीं किया तो वे खत्म हो जाएंगे
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
तीन साल पहले विवेक व्यास और विमल पोपट अलग-अलग कंपनियों में काम कर रहे थे। खुश थे। फिर उन्होंने राजकोट में एक इंश्योरेंस कंपनी ज्वॉइन कर ली। टेक्निकली बहुत ज्यादा कुछ जानते थे। फिर भी लोगों को सफलतापूर्वक बीमा पॉलिसियां बेच रहे थे। आगे उनकी खास कोई योजना नहीं थी, लेकिन किस्मत ने उनके लिए योजना बना रखी थी। एक रोज वे सड़क किनारे एक दुकान पर समोसे खाने को रुक गए। दुकानदार ने उन्हें अखबार के टुकड़े में रखकर समोसे दिए। खा-पीकर वे हाथ में रखे उस अखबार के टुकड़े को फेंकने ही वाले थे कि उनकी नजर उसमें छपी एक सूचना पर गई। किसी की मौत पर शोक संदेश था वह।
Source: Good Ideas Will Vanish If You Haven't Worked On It - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st January 2014
उसे पढ़कर दोनों बहुत डिस्टर्ब हो गए। दोनों को लगा कि क्या शोक संदेश और ज्यादा सम्मानित तरीके से प्रजेंट नहीं किए जा सकते? क्या ये तरीका ऐसा नहीं हो सकता जो लोगों को हमेशा याद रहे? इसी तरह के कुछ और सवाल उनके दिमाग में उमड़-घुमड़ रहे थे। दोनों के जवाब एक जैसे थे। यानी उन्हें लगता था कि शोक संदेशों को सम्मानित और यादगार तरीके से प्रजेंट किया जाना चाहिए। लेकिन उन्हें अब तक यह समझ नहीं आ रहा था कि वे इसके लिए करें क्या? हालांकि एक आइडिया के बीज उनके दिमाग में पड़ चुके थे। उन्होंने अब यह सोचना भी शुरू कर दिया था कि इस आइडिया पर अमल कैसे करें? एक साल निकल गया। फिर उनके आइडिया ने एक वेब पोर्टल को जन्म दिया, 'श्रद्धांजलि डॉट कॉम।' भारत में इस तरह का यह अपनी तरह का पहला पोर्टल है। इस पर लोग अपने दिवंगत परिजनों के लिए शोक संदेश डाल सकते हैं। उसे अपने और नाते-रिश्तेदारों तक पहुंचा सकते हैं। यही नहीं आने वाली पीढ़ी भी जब चाहे अपने बुजुर्गों से संबंधित शोक संदेशों को इस पोर्टल पर जाकर पढ़ सकती है। पोर्टल चलाने वाले लड़कों को अभी उनके बिजनेस से कोई फायदा नहीं हो रहा है, लेकिन उनकी कोशिश ने लोगों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी उनकी इस कोशिश की तारीफ कर चुके हैं।
इस साइट पर कोई भी खुद को रजिस्टर कर अपने दिवंगत परिजन की फोटो डाल सकता है। उनसे जुड़े वीडियो अपलोड कर सकता है। शोक संदेश लिख कर उसे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, जानकारों तक भेज सकता है। दिवंगत परिजन की या अपनी पसंद का म्यूजिक उस शोक संदेश के साथ एड कर सकता है। यही नहीं, इस पेज पर पूरा मालिकाना संबंधित सब्सक्राइबर का ही होता है। यानी सिर्फ वही पेज पर कुछ एडीशन, डिलीशन या एडिट कर सकता है। वह चाहे तो अपने पेज पर विज्ञापन ले और न चाहे न ले। यानी कोई भी, पोर्टल का मालिक भी किसी के पेज पर उसकी इच्छा के बिना विज्ञापन नहीं चला सकता। विवेक और विमल के इस पोर्टल पर अभी पूरी रकम उनकी ही लगी हुई है। उन्हें इससे कोई कमाई भी नहीं है, लेकिन वे अपने लिए प्रायोजक या निवेशक जरूर ढूंढ़ रहे हैं। ताकि इस प्रयास को ज्यादा से ज्यादा लोगों के लाभ के लिए उन तक पहुंचाया जा सके। अभी इस पोर्टल पर करीब 300 सब्सक्राइबर हैं। इन लोगों ने 30 साल के लिए सदस्यता ली है। इन लोगों के लिए करीब पांच ऑनलाइन पेज पोर्टल ने मुहैया कराए हैं। इसके लिए सदस्यों ने करीब 5,000 रुपए फीस का भुगतान किया है। इसके अलावा साइट पर 90 प्रोफाइल कॉम्पलीमेंट्री हैं। ये समाजसेवियों, शहीदों, खिलाडिय़ों आदि से जुड़े हुए हैं। आजकल तकनीक का युग है। लोग दुनिया के किसी भी हिस्से में रहें, वे एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। परिवार में जो लोग हैं और नहीं रहे उन सभी यादों को एक-दूसरे से साझा कर सकते हैं। तस्वीरें, वीडियो शेयर कर सकते हैं। यानी सबकुछ बस एक क्लिक पर आपके हाथ में हैं। और इसका मतलब यह भी कि आजकल संभावनाओं का कोई अंत नहीं है।
फंडा यह है कि...
आइडिया कभी-किसी मौके पर अचानक आते हैं। ये जब भी आएं इन पर काम शुरू कर देना चाहिए। अगर इन पर काम नहीं किया गया। इन्हें हकीकत में नहीं बदला गया तो ये मर जाएंगे।
Source: Good Ideas Will Vanish If You Haven't Worked On It - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 21st January 2014
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