कभी-कभी अनौपचारिक बातचीत से भी शानदार आइडिया आ जाते हैं
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
चीन में 2010 में पांच करोड़ एयरकंडीशनर बिके। भारत में भी इतने ही लेकिन पिछले दो साल में। अमेरिका का अनुमान है कि उनके यहां मौजूद एयरकंडीशंड कारें चलाने के लिए सालाना सात अरब गैलन गैसोलीन उत्पादों की जरूरत है। एयरकंडीशनर बेशक हमारी रोजमर्रा की जरूरत में जुड़ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि इनसे हजारों-लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में पहुंच रही है। यह सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं है। दुनिया का हर देश इसी दिक्कत से जूझ रहा है। इस वक्त सिर्फ इतनी ही जानकारी पढऩे के बाद आपको अपनी कार के शीशों से नफरत हो सकती है, क्योंकि न तो ये बाहर से आ रही गर्मी को ठीक से रोक पाने में सक्षम होते हैं और न ही ट्रैफिक सिग्नल पर होने वाली ताक-झांक रोक सकते हैं, लेकिन कल्पना कीजिए कि आपकी कार के शीशे स्मार्ट हो जाएं। वे ठंड के दिनों में सूरज की गर्मी को भीतर आने दें और गर्मियों में उसे रोकें तो कैसा रहे? क्या आप इस तरह के शीशों के इस्तेमाल के लिए उत्सुक नहीं होंगे? बिल्कुल होंगे।
Source: Informal Conversations Occasionally Leads To Great Ideas - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 17th December 2013
सरबजीत बनर्जी छुट्टियां मनाने के लिए भारत आए थे। वे दोस्तों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मशगूल थे, तभी उनके दिमाग में कारों के लिए इस तरह के शीशों का आइडिया आया। सरबजीत ने अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा ली है। इससे पहले की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से की थी। अभी वे अमेरिका में ही बफेलो यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे हैं। यहां वे अब रिसर्च का काम आगे बढ़ा रहे हैं। कुछ खास किस्म के नैनो मटेरियल्स को विकसित करना सरबजीत की रिसर्च का फोकस एरिया है। रिसर्च वर्क में उनके साथ पूरी टीम है। इसमें यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स हैं। दोस्तों के साथ बात करते हुए हुए उन्हें जो आइडिया आया उसके बाद उन्होंने अपनी रिसर्च वेनेडियम ऑक्साइड के इर्द-गिर्द तेज कर दी। वेनेडियम ऑक्साइड एक तरह का सिंथेटिक मटेरियल है। एक तयशुदा बिंदु से ऊपर जाते ही इस मटेरियल की मदद से गर्मी को विपरीत दिशा में मोड़ा जा सकता है।
सरबजीत व उनके छात्रों ने एक कंपनी से संपर्क किया कि वह खिड़कियों के शीशों में वेनेडियम ऑक्साइड का इस्तेमाल करे। ताकि घरों और कारों में तपिश को सिर्फ गर्मी के दिनों में भीतर आने से रोका जा सके। कंपनी ने सरबजीत के प्रस्ताव पर सकारात्मक रवैया अख्तियार किया। आज पूरी दुनिया सरबजीत और उनकी टीम के काम पर मुहर लगा चुकी है। यानी वेनेडियम ऑक्साइड की कोटिंग वाले शीशे बनाने को मंजूरी। वे शीशे जो गर्मियों में तपिश को भीतर आने से रोकते हैं और ठंडियों में आने देते हैं। अमेरिकी सरकार तो इस नई खोज के व्यावसायिक इस्तेमाल को तेज करने के लिए हर संभव मदद दे रही है। क्योंकि इससे निश्चित तौर पर ऊर्जा की बचत होनी भी तय है। सरबजीत ने अमेरिकी कंपनियों के अलावा भारत में टाटा स्टील से भी साझेदारी की कोशिश कर रहे हैं। जहां लोहे की चादर वाली छतों का इस्तेमाल होता है, चाहे वह घर हो या गाडिय़ां, वहां भी इस पदार्थ का उपयोग हो सकता है। ताकि तापमान को नियंत्रित रखा जा सके। यह पदार्थ बहुत महंगा भी नहीं होगा।
सरबजीत का दावा है कि जब इस पदार्थ का व्यावसायिक इस्तेमाल होने लगेगा तो इसकी कीमत सिर्फ 25 रुपए वर्गफुट होगी। उनकी उपलब्धि के लिए मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने उन्हें 35 साल से कम उम्र वाले आविष्कारकों में शीर्ष स्थान दिया है। दुनिया में अव्वल। सरबजीत का मानना है कि हमें हर किस्म के लोगों से बातचीत करते रहना चाहिए। औपचारिक हो या अनौपचारिक। क्योंकि बातचीत से कई बार ऐसे आइडिया निकल आते हैं जो दुनिया को चौंका सकते हैं।
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