तरक्की करना चाहते हैं तो जाहिर है आगे की सोचें
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
हम जो कचरा रोज इधर-उधर फेंकते हैं, उसका क्या होता है? हममें से ज्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होगा, लेकिन अगर 22 विदेशी कंपनियों के रुझान का आकलन करें व उसे संकेत मानें तो हम समझेंगे कि हम कौन सा बिजनेस आइडिया खो रहे हैं। बीएमसी (बृहनमुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन) के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईओआई जारी किए। ईओआई मतलब एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट। ईओआई यह जानने के लिए कि कचरे के प्रबंधन का जो काम बीएमसी कराना चाहती है उसमें किस-किस की रुचि है। दुनिया की 22 अग्रणी कंपनियों ने बीएमसी के ईओआई पर अपनी प्रतिक्रिया दी। रुचि दिखाई। इनमें अमेरिका की ऑयल स्पिल ईटर इंटरनेशनल भी शामिल है।
Source: If You Want To Succeed, Then It is Obvious You Have To Think About Future - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 6th December 2013
ईओआई को कुल 31 प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें एक कंपनी भारतीय भी है। इन्हीं में करीब 19 प्रस्ताव संयुक्त उपक्रम लगाने के थे। बाकी 12 प्रस्ताव अकेले दम पर अपना उपक्रम लगाने के लिए थे। इजरायल, हॉलैंड, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनियों ने प्रस्ताव दिए। इन देशों की कंपनियां नीलामी प्रक्रिया में भी शामिल हुईं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात की अवेरडा इंटरनेशनल, जापान की हिताची जोसेन इनोवा एजी, जर्मनी की मार्टिन जीएमबीएन प्रमुख हैं। चीन की जियांग्झी जियांग्लियन ने भी इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है। जर्मनी, चीन ओर मलेशिया की तीन कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी की ओर पहल की।
भारत की ओर से जिंदल समूह ने भी प्रस्ताव दिया है। जिंदल के प्रस्ताव पर बीएमसी ने भी सकारात्मक रुख दिखाया है। जिंदल ने गुजरात की हबटाउन एंड इनोवेटिव इको-केयर प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रोजैक्ट पर काम करने योजना बनाई है। इतनी भारी-भरकम कंपनियां जब किसी प्रोजेक्ट में रुचि ले रही हों तो जाहिर तौर लोग उसके नतीजे में भी दिलचस्पी लेंगे। यानी अब हर किसी की निगाह इस पर है कि मुंबई के कचरे का निस्तारण कैसे और कौन करता है। मुंबई में हर रोज करीब 6,500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसके अलावा रोज दो से ढाई हजार मीट्रिक टन कचरा कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का होता है। और ये कंपनियां जानती हैं कि वे अगर इस कचरे का निस्तारण ठीक ढंग से कर पाईं तो काफी पैसा कमा सकती हैं। वे इस कचरे से बिजली बनाएंगी।
वैसे बीएमसी हर साल शहर के कचरा निस्तारण पर 110.8 करोड़ रुपए खर्च करती है। जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन भी इस काम में अलग से पैसा खर्च करता है। लेकिन इन कंपनियों को पता है कि वे इस कचरे पर पैसा खर्चने के बजाए एक साल के भीतर इससे अपनी तिजोरी भर सकती हैं। कचरे से बिजली बनाने के लिए लगाए जाने वाले प्लांट पर जो खर्च होगा वह भी कंपनियों को अकेले नहीं उठाना पड़ेगा। जो कंपनी सिलेक्ट की जाएगी उसे बीएमसी प्रोजैक्ट लगाने में मदद करेगी। उसने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मदद हासिल करने के लिए कोशिशें भी शुरू कर दी हैं। प्रोजैक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत लगाया जाएगा। एक बार इसके लिए कंपनी सिलेक्ट हो जाने के बाद केंद्र सरकार से पर्यावरणीय अनुमति आदि ली जाएगी।
उम्मीद की जा रही है कि अगले दो साल में देश में सबसे ज्यादा कचरा पैदा करने वाले शहर में इससे बिजली बनने लगेगी। विडंबना ये है कि कचरे से बिजली पैदा करने के काम में अब तक किसी भी भारतीय कंपनी की विशेषज्ञता सामने नहीं आई है। विदेशी कंपनियां ही इसमें आगे रही हैं। वे कचरे को भी बिजली बनाने जैसे या ऐसे ही किसी दूसरे अच्छे काम में इस्तेमाल कर लेती हैं। वे जानती हैं कि कचरे के भारी-भरकम ढेर में भी सोना छिपा होता है।
फंडा यह है कि...
सबसे जरूरी है कि हम जाहिर चीज से आगे देख पाने की क्षमता विकसित करें। ऐसा हुआ तो हमारी तरक्की कई गुना तेज हो जाएगी।
Source: If You Want To Succeed, Then It is Obvious You Have To Think About Future - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 6th December 2013
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