Saturday, December 7, 2013

Kindness and Compassion In Heart Explains All - Management Funda - N Raghuraman - 7th December 2013

सब समझा देती है दिल में दया और करुणा 

मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


दुनिया की सबसे ग्लैमरस रिसॉर्ट सिटी से महज 10 किलोमीटर दूर है वह द्वीप। समुद्र तट के बहुत नजदीक। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए दक्षिणी अटलांटिक सागर के बर्फीले पानी के बीच 30 मिनट की यात्रा करनी पड़ती है। मदीबा के जीवन से जुड़े पहलुओं के अध्ययन के लिए दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बुलाया था। ये पत्रकार जब इस द्वीप की यात्रा पर थे तो सूरज को भी उन पर दया नहीं आ रही थी। ठंडी समुद्री हवाओं के थपेड़े उन्हें झकझोर रहे थे। लेकिन यह जानकर किसी को भी अचरज होगा कि भीषण ठंडे इलाके में स्थित इस द्वीप पर मदीबा ने जीवन के 27 साल गुजारे। जिस छोटे से कमरे वे रहते थे, पत्रकारों को वहां ले जाया गया। बताया गया कि मदीबा यहीं खुद को फिट रखने के लिए शैडो बॉक्सिंग की प्रैक्टिस भी करते थे। 

Source:Kindness and Compassion In Heart Explains All - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 7th December 2013 


हम दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन रोलीहाहला मंडेला का जिक्र कर रहे हैं। फरवरी की 13 तारीख थी। मदीबा जेल से छूटकर पहली बार पत्रकारों के सामने आए थे। केप टाउन के आर्कबिशप के टैरेस गार्डन पर यह कॉन्फ्रेंस थी। सवाल-जवाब का सिलसिला चल ही रहा था कि तभी एक गोरा रिपोर्टर आगे आया। उसने अपना नाम क्लेरेंस केटर बताया। अफ्रीका की सरकारी न्यूज एजेंसी-अफ्रीकंस लैंग्वेज सर्विस का पॉलिटिकल कॉरेस्पोंडेंट था वह। उसने दशकों से चले आ रहे रंगभेद से जुड़े मसले पर कई सवाल पूछे। उसके सवालों में अजीब तरह की एक आशंका का भाव साफ नजर आ रहा था। मदीबा ने उसके सवालों को शांति से सुना। फिर जवाब देने के बजाय वे उसके पास पहुंच गए। उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसे धन्यवाद देने लगे। बोले, 'जब मैं जेल में था तो आखिरी सालों में मुझे जेल प्रशासन ने एक रेडियो दिया। इस पर मैं आपकी दी हुई खबरों को ध्यान से सुनता था। उन पर सबसे ज्यादा भरोसा करता था। उनसे मुझे पता चलता था कि बाहर देश में इस अहम मसले (रंगभेद के) पर क्या-कुछ चल रहा है।' मदीबा की बात सुनकर केटर दंग रह गया। उसकी आंखों में आंसू थे। ऐसा ही 1985 की शुरुआत का एक वाकया। दक्षिण अफ्रीकी सरकार मदीबा को सशर्त जेल से छोडऩे के लिए तैयार हो गई थी। शर्त ये थी कि वे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल नहीं होंगे। मदीबा ने सरकारी प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। एक महीना बीत गया। मदीबा की 23 साल की बेटी जिंजी मंडेला एक कार्यक्रम में हजारों लोगों की भीड़ के सामने थी। अपने पिता से मिलकर आई थी। उसने लोगों से कहा कि उसके पिता ने उन सभी के लिए एक संदेश भेजा है। उन्होंने कहा है, 'मैं सरकार से कोई वादा नहीं कर सकता। न ही करूंगा। तब तक जब तक कि मुझे और आप सभी को आजादी नहीं मिल जाती। मेरी और आपकी आजादी एक-दूसरे से जुदा नहीं है। इसे एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।' मंडेला ने संभवत: रेडियो पर केटर्स की खबरें सुनकर ही यह निर्णय लिया था। 

फंडा यह है कि...

अगर आपके दिल में दया और करुणा है तो आप लोगों के चेहरे के भाव पढ़ सकते हैं। खुशी, दर्द, चिंता, आशंका, गुस्सा, तनाव। सब कुछ। समझ सकते हैं कि आंखें क्या कह रही हैं? जान सकते हैं कि आवाज के पीछे क्या हो सकता है? दया और करुणा वे चीजें हैं जिनके सामने कोई भाव छिप नहीं सकता।





































Source:Kindness and Compassion In Heart Explains All - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 7th December 2013 

No comments:

Post a Comment