आधी-अधूरी फिल्मों की दास्तां
परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे
हॉलीवुड की सफल फिल्म श्रृंखला 'फास्ट एंड फ्यूरियस' के नायक पॉल वाकर की मृत्यु कार दुर्घटना में हो गई है और अब श्रृंखला की ताजी अधूरी फिल्म को किस तरह पूरा करें, इस पर सोच विचार चल रहा है। टेलीविजन में इस तरह की दुर्घटना के बाद नए कलाकार को लिया जाता है और दर्शकों को यकीन दिलाया जाता है कि यह वही पात्र है तथा चंद एपिसोड के बाद दर्शक अभ्यस्त हो जाते हैं। हिन्दुस्तानी सिनेमा के प्रारंभिक दौर में जब किवदंतियों पर फिल्म बनती थी, तब मरे हुए कलाकार की कमी को पूरा करने के लिए पिंजड़े में बंद परिंदा दिखाते हुए संवाद होता था कि जादूगर सामरी ने उस दुष्ट को परिंदा बना दिया है। प्राय: सामाजिक फिल्मों में दीवार पर लगी तस्वीर पर चंदन की माला चढ़ाकर पात्र को मृत घोषित कर देते थे। 'शबनम' नामक फिल्म में नायक श्याम की मृत्यु घुड़सवारी के एक दृश्य के समय हो गई थी और उस पात्र के पहले नकारे गए शॉट्स का इस्तेमाल करके किसी तरह फिल्म पूरी कर दी गई।
Source: Tale Of Half - Incomplete Films - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 7th December 2013
शम्मी कपूर ने अपनी पत्नी गीता बाली द्वारा बनाई गई 'एक चादर मैली सी', जिसमें गीता का थोड़ा ही काम बाकी था जब उनकी अकाल मृत्यु हुई, को रद्द कर दिया और फिल्म के निगेटिव को भी नष्ट कर दिया। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध फिल्मकार ए.पूरनचंद राव की एक फिल्म आज भी अधूरी है, वह भी केवल क्लाइमैक्स का दृश्य शूट नहीं हुआ। उस फिल्म में अमिताभ बच्चन, कमल हसन, श्रीदेवी और जयाप्रदा ने अभिनय किया था। फिल्म के अंतिम दौर के समय मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा चेन्नई पहुंचे और उन्हें कुछ एतराज था। संभवत: फिल्म के क्लाइमैक्स में कमल हसन गरिमा मंडित हो रहे थे। बहरहाल, वहां पटकथा बदलने के लिए इतना तनाव बढ़ा कि निर्देशक को हार्ट अटैक हो गया और निर्माता ने उसे रद्द करने का निर्णय किया।
थोड़े बहुत काम के बाद रद्द हुई फिल्मों की संख्या बहुत अधिक है। अनेक बार बहुसितारा फिल्मों में सितारों के अहंकार की टकराहट के कारण फिल्में अधूरी छूट जाती हैं। आजकल फिल्म टेक्नोलॉजी इतनी विकसित है कि ट्रिक्स द्वारा अधूरी फिल्म पूरी की जा सकती है। एक्शन दृश्यों में विश्वसनीयता के लिए सितारे के ढेरों फोटोग्राफ्स के अध्ययन के बाद कम्प्यूटर पर उसकी छवि गढ़ ली जाती है और इस छवि के साथ सितारे के कुछ शॉट्स जोड़कर ऐसा प्रभाव पैदा किया जाता है मानो जान जोखिम में डालने वाला दृश्य सितारे ने ही पूरा किया है। आगे आने वाले समय में टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो जाएगी कि सितारे को केवल पच्चीस प्रतिशत काम करना होगा। शेष काम कम्प्यूटर जनित छवियों के द्वारा पूरा कर लिया जायेगा जैसे कम्प्यूटर की सहायता से लता मंगेशकर के अनेक गीतों से कुछ शब्द लेकर कम्प्यूटर द्वारा ऐसा नया गीत बन सकता है जो लताजी ने कभी गाया ही नहीं।
के. आसिफ की मृत्यु के बाद उनकी अधूरी 'लव एंड गॉड' को कस्तूरचंद बोकाडिय़ा ने हिम्मत लगाकर एक पूरी फिल्म की तरह प्रदर्शित किया परन्तु वह मुगल-ए-आजम के लिए प्रसिद्ध के. आसिफ की रचना नहीं लगती थी। ए.पूरनचंद राव की अमिताभ बच्चन, कमल हसन, श्रीदेवी अभिनीत अधूरी फिल्म को भी टेलीविजन पर दिखाया जा सकता है। इसी तरह विभिन्न प्रयोगशालाओं में पड़े कुछ गीत दृश्यों को भी टेलीविजन पर दिखाया जा सकता है।
एक्स्ट्रा शॉट...
अरबी प्रेमकथा पर बनी के. आसिफ की अधूरी फिल्म 'लव एंड गॉड' का प्रदर्शन 1986 में हुआ। इसमें संजीव कुमार और निम्मी ने अभिनय किया।
Source: Tale Of Half - Incomplete Films - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 7th December 2013
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