इरादा हो तो कोई भी चीज कहीं भी लागू हो सकती है
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
दिसंबर की नौ तारीख को चेन्नई की पुलिस ने तय किया कि वह तत्काल प्रभाव से कार चालकों के लिए सीट बेल्ट की व्यवस्था लागू करेगी। और ठीक आठ दिन बाद 17 दिसंबर को आला अधिकारियों से फील्ड से रिपोर्ट मिली कि शहर में 99 फीसदी लोग सीट बेल्ट बांधने लगे हैं। यानी एक हफ्ते में पूरे शहर के कार चालकों ने वह करना शुरू कर दिया जो पुलिस विभाग करवाना चाह रहा था। और पुलिस ने लगाया क्या? हर सड़क पर 50 अफसरों की टीम। जो वहां 18-18 घंटे खड़े रही। जिसने लगातार सीट बेल्ट न बांधने वालों को पकड़ा। और उन पर कार्रवाई की। सबसे पहले चेन्नई पुलिस ने अभियान का विज्ञापन कराया। अखबार, रेडियो, टीवी हर जगह इसके बारे जानकारी दी गई। लोगों से सीट बेल्ट बांधने की अपील की गई। उसके बाद पुलिस ने एक तारीख तय की। और फिर पुलिस के जवान पूरे शहर में फैल गए। पहले दिन पुलिस वालों ने लोगों को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ा। उन्हें बताया गया कि अगली बार अगर सीट बेल्ट नहीं बांधा तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। दूसरे दिन से उन्होंने सीट बेल्ट न बांधने वालों पर फाइन लगाना शुरू कर दिया। साथ ही ऐसा न करने से होने वाले नुकसान के बारे में भी समझाइश भी दी।
Source: If You Have The Intention, Then Anything Anywhere Can Happen - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 23rd December 2013
पहले पांच दिनों पुलिस के टीमों ने 4,250 लोगों पर कार्रवाई की। जंगल की आग की तरह पूरे शहर में पुलिस की कार्रवाई की खबर फैल गई। जिन लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई थी वे भी सचेत हो गए। नियम का पालन करने लगे। अभियान के आखिरी दिन यानी 17 दिसंबर तक हालत यह हो गई कि पुलिस को सिर्फ 207 लोग ही मिले जिन पर कार्रवाई करनी पड़ी। पूरे अभियान के दौरान किसी वीआईपी या सरकारी वाहन और उनके चालकों को भी कोई रियायत नहीं दी गई। उल्टा इस किस्म के वाहनों और उनके चालकों पर की गई कार्रवाई की खबर मीडिया में दे दी गई। पुलिस के रवैये से यह संकेत गया कि नई व्यवस्था को लागू करने के प्रति वह पूरी तरह गंभीर है। नियम तोडऩे वालों को साफ बताया गया कि पहली बार सीट बेल्ट बांधे बिना पकड़े गए तो 100 रुपए फाइन लगेगा। दूसरी बार ऐसा किया तो 300 रुपए की रसीद कटेगी। और इस हफ्ते भर के अभियान का नतीजा तो हम आपको पहले बता ही चुके हैं। पुलिस मानती है कि अगर अभियान एक महीने चला तो तय मानिए कि चेन्नई में सीट बेल्ट बांधकर चलने की लोगों को आदत पड़ जाएगी। इसके बाद भी जो नियम तोडऩे के आदी हैं उन पर कभी भी कार्रवाई की जा सकती है।
मुंबई पुलिस ने भी दो महीने तक ऐसा अभियान चलाया था। उसे भी ऐसे ही नतीजे मिले। उसने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए भी अभियान चलाया। और कामयाब भी रही। फिलहाल मुंबई में 'रेस्पेक्ट सिग्नल' कैंपेन चल रहा है। इसके नतीजे काफी उत्साहजनक आ रहे हैं। हर सिग्नल पर पुलिस टीमें सातों दिन 24 घंटे तैनात रहती हैं। वे कार चालकों को ट्रैफिक सिग्नल फॉलो करने के लिए तैयार कर रहे हैं। भले ही सड़कें खाली क्यों न हों। व्यस्त ट्रैफिक से पहले या बाद के सुस्त समय में भी सिग्नल तोडऩे वालों पर तुरत-फुरत कार्रवाई हो रही है। दक्षिण अमेरिका के मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका के ब्राजील में बड़े शहरों में सड़क दुर्घटनाएं खूब होती हैं। यहां भी इन हादसों को रोकने के लिए वही तरीके अपनाए गए जो चेन्नई और मुंबई पुलिस ने अपनाया। वहां लोगों से यातायात नियमों का पालन कराने के लिए पुलिस पूरे साल अभियान चलाती है। इससे सड़क दुर्घटनाओं को काफी कमी आई है।
फंडा यह है कि...
नई व्यवस्था या कानून को लागू कराने को लेकर कोई किसी तरह का बहाना नहीं बना सकता। छोटा समूह भी यह काम प्रभावी ढंग से कर सकता है। बस उसके लिए इरादा होना जरूरी है और थोड़ी योजना भी।
Source: If You Have The Intention, Then Anything Anywhere Can Happen - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 23rd December 2013
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