रैम्बो नहीं राउडी राजकुमार
परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे
जब सोनाक्षी सिन्हा की दबंग और राउडी राठौड़ सफल रही तब उसने कहा, अब तो सफलता एक आदत हो गई है। अब लुटेरा और बुलेट राजा की असफलता पर वे अपने पिता के अकारण लोकप्रिय संवाद-अंश की तरह 'खामोश' हैं। मनोरंजन उद्योग हर बातूनी व्यक्ति को 'खामोश' कर देता है। शाहिद कपूर एक अदद सफलता के लिए इस कदर बेचैन हैं कि बड़बोले हो गए हैं। अरसे पहले करीना कपूर के साथ अभिनीत 'जब वी मेट' के बाद सफलता उनसे रूठ गई है। अब सोनाक्षी और शाहिद प्रभु (देवा) की शरण आ गए हैं। जो दक्षिण भारत के इडली-डोसा में उत्तर की छोले-भटूरे नुमा लोकप्रिय फिल्में गढऩे में माहिर हैं और हड्डी तोड़ नृत्य बनाने में उनका कोई सानी नहीं है। वे दक्षिण भारत में बनी फिल्मों को हिन्दी में बनाते हैं। रैम्बो राजकुमार को ही उन्होंने आर राजकुमार के नाम से बनाया है और हॉलीवुड के लोकप्रिय ब्रैंड रैम्बो से कॉपीराइट के मामले में न उलझ उन्होंने नाम रखा है आर राजकुमार। आप प्रभु देवा की फिल्मों को किसी भी नाम से पुकारें, वह रहती हैं उनकी ही ब्रैंड! वह चाहते तो इस फिल्म को राउडी राजकुमार भी कह सकते थे।
Source: Rowdy Rajkumar Is Not Rambo - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 5th December 2013
विगत दशक में नायकों ने अभिनय से अधिक ध्यान शरीर सौष्ठव पर दिया है। स्टूडियो पहुंचने के पहले अभिनेता जिम जाता है और जिमिंग उनकी बोलचाल में सबसे अधिक प्रचलित शब्द है। जिम जाने के शौकीन चाल से ही पहचान लेते हैं कि यह उनका जिमिंग भाई है, अत: यह एक नया भाईचारा लोकप्रिय हुआ है। आठवें और नौवें दशक में संगठित अपराध के सदस्य एक दूसरे को भाई कहकर बुलाते थे। दरअसल इटली से उदय होने वाला संगठित अपराध अमेरिका में फैमिली (परिवार) कहा जाता है। और एक जमाने में डॉन कोटलीन परिवार सबसे सशक्त माना जाता था।
हॉलीवुड की रैम्बो श्रृंखला ने भी कसरती शरीर को सिक्के की तरह चला दिया है। आज छोटे शहरों में भी युवा वर्ग सिक्स पैक शरीर बनाने में लगा है। दरअसल जिमिंग करने वालों को आयात किया हुआ प्रोटीन पाउडर तथा एमेनियो एसिड्स इत्यादि अनेक मिनरल्स का सेवन करना पड़ता है और इन सब पर औसतन पचास हजार रुपये माह का खर्च आता है। शरीर में मांसपेशियों का उत्पादन मशीनी ढंग से होता है। गोयाकि शरीर की नदी मे मछलियों सा विकास मध्यम वर्ग के बजट के बाहर है। इस विद्या के ट्रेनर भी खूब धन कमा रहे हैं। जिसे हम मसल बनाना कहते हैं, दरअसल वह मसल तोडऩा है क्योंकि जानलेवा परिश्रम से मसल टूटता है और नया बनते समय उसका आकार बढ़ जाता है। अर्थात यह तोड़-फोड़ से आकार बढ़ाने का काम है।
सैफ अली खान और शाहिद कपूर जैसे अभिनेताओं को कुछ रोमांटिक सी छवि सूट करती है परंतु सौ करोड़ के क्लब में प्रवेश के लिए वे अपने स्वभाव के विपरीत सलमान खान नुमा फिल्में करना चाहते हैं। सैफ ने 'एजेंट विनोद' नामक हादसे से भी कुछ नहीं सीखा और 'बुलेट राजा' में हादसा दोहरा दिया। इसी तरह शाहिद ने पोस्टर तक फाड़ दिया परंतु एक्शन हीरो नहीं निकला। यह अजीब दौर है जब लोग वो करना चाहते हैं जिसके लिए वे नहीं बने हैं। राजनीति में अनेक लोग हैं जिनके पास कमाल की 'व्यापार बुद्धि' है परंतु वे चुनाव के व्यापार में आकंठ आलिप्त हैं। यह अजब औघड़ दौर है। 'औघड़ गुरु का अजब ध्यान, पहले भोजन फिर स्नान'।
एक्स्ट्रा शॉट...
प्रभु देवा ने पिछले साल अक्षय कुमार अभिनीत 'राउडी राठौड़' का निर्देशन किया था। ये 'मक्खी' फेम एसएस राजामौली की तेलुगू फिल्म 'विक्रमारकुडू' की रीमेक थी।
Source: Rowdy Rajkumar Is Not Rambo - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 5th December 2013
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