जिंदगी चुनौती दे तो आप उसका मुकाबला कीजिए
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
बेंगलुरू से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर है कोलार गोल्ड फील्ड। इस फील्ड में करीब 200 टन सोना होने का अनुमान है। इसकी बाजार में कीमत करीब 60 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। सात दिन पहले इस गोल्ड फील्ड के बारे में एक खबर छपी थी। इसमें बताया गया था कि अगले साल अप्रैल से फिर यहां खनन शुरू होने की संभावना है, लेकिन सोने की खदान वाले इस इलाके में रहने वाले उस बच्चे के पास बिल्कुल भी पैसे नहीं थे। सिर्फ 10 साल की उम्र थी। चौथी कक्षा में पढ़ रहा था, तभी उसके माता-पिता का देहांत हो गया। कोलार से कुछ दूरी पर स्थित मलूर गांव में हुए एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी। एक-दो दिन तक उस अनाथ बच्चे को कुछ लोगों ने खाना-पीना दिया, लेकिन उसके बाद किसी ने नहीं पूछा। उसके भूखे-प्यासे होने की, मूलभूत जरूरतों की किसी को चिंता नहीं थी।
स्रोत : If Life Challenges You Then You Must Fight It - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 2nd December 2013
लिहाजा, वह एक भले आदमी की मदद से एक बस में चढ़ गया और बेंगलुरू आ गया। उसकी जेब में बिल्कुल भी पैसे नहीं थे इसलिए बस स्टैंड पर ही रह गया। कई-कई दिनों तक एक ही जोड़ी कपड़े पहने रहना, वहीं जो काम मिल जाए कर लेना... किसी तरह बस दो जून के निवाले का ही जुगाड़ कर पा रहा था। समय कुछ और बीता। धीरे-धीरे उसने बसों के ड्राइवरों-कंडक्टरों का भरोसा जीत लिया। वह उनके लिए चाय-सिगरेट लाता। बसें बैक करने और उन्हें पार्क कराने में भी ड्राइवरों की मदद करता। बसों की धुलाई-सफाई कर देता। उसके व्यवहार ने उसे ज्यादातर ड्राइवर-कंडक्टरों का पसंदीदा बना दिया।
चूंकि वह लड़का 24 घंटे ही बस स्टैंड पर रहता था, इसलिए वहां उसकी नजर कुछ असामाजिक तत्वों पर भी पड़ गई। कुछ जेबकतरे-चोर वगैरह। वह उनमें से ज्यादातर को पहचानने लगा था। उन्हें वारदात करते देख चुका था। कुछ समय बाद उसने इन सब के बारे में पुलिस को सूचनाएं देनी शुरू कर दीं। ये बदमाश एक-एक कर पकड़े जाने लगे। ऐसे ही एक बार जब उसने एक गिरोह को रंगेहाथ पकड़वाया तो उन बदमाशों ने कुछ दिन बाद उसकी पिटाई कर दी। इस तरह की घटनाएं और भी कई बार हुईं, लेकिन उसने कभी इन बदमाशों का गिरहबान नहीं छोड़ा। पुलिस का नियमित मुखबिर बन गया और चार साल में उसने बस स्टैंड को चोर-उचक्कों से मुक्त करा दिया।
उसकी बहादुरी का उसे इनाम भी मिला। उसे कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम ने होमगार्ड की नौकरी दे दी। इस नौकरी के साथ भी वह पुलिस के लिए मुखबिरी करता रहा। पिछले 20 साल में वह हजारों जेबकतरों और बदमाशों को पकड़वा चुका है। उसका कहना है कि जहां तक हो सकेगा वह अपना भाग्य खुद लिखेगा। उसे आज यह पसंद नहीं कि उसे कोई दया का पात्र माने। किसी से उसने कभी अपनी गरीबी या संघर्ष की कहानी भी नहीं बताई। वह आत्मसम्मान के साथ रहना चाहता है और रह भी रहा है। हाल में ही उसने राज्य के गृहमंत्री केजे जॉर्ज को एक पत्र लिखा है। इसमें आग्रह किया है कि होमगार्ड के जवानों को ज्यादा सुविधाएं और शक्तियां दी जाएं।
पत्र में उसने ऐसे कई उदाहरण गिनाए हैं, जहां होमगार्ड के जवानों ने अपराधों और अपराधियों पर नकेल कसने में मदद की। उसने इन छोटे-मोटे अपराधों से निपटने का ब्लूप्रिंट दिया है सरकार को। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पुलिस अक्सर अनाउंसमेंट करके लोगों को जेबकतरों वगैरह से सावधान रहने की नसीहत देती रहती है। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। इस सबके साथ अगर होमगार्ड के जवानों की मदद भी ली जाए तो अपराधों और अपराधियों को खत्म करने में देर नहीं लगेगी। कर्नाटक में होमगार्ड के करीब 30 हजार जवान हैं। उन सबकी आवाज बना है मुनिराजू। दिलचस्प बात यह है कि मुनिराजू की आवाज को गृहमंत्री भी अनसुना नहीं कर पाए हैं। उन्होंने होमगार्ड के जवानों को सुविधाएं और शक्तियां मुहैया कराने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
फंडा यह है कि …
आप खुद को दया के पात्र के तौर पर पेश करते हैं तो आपकी छवि दब्बू इंसान की ही बनेगी। बेहतर है अगर जिंदगी आपको चुनौती दे रही हो तो उसका मुकाबला कीजिए।
स्रोत : If Life Challenges You Then You Must Fight It - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 2nd December 2013
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