युवा भारत को धीरे-धीरे जकड़ रहा है फेसबुक फीवर
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
यह बुखार कभी-कभी जानलेवा हो सकता है। और इसका इलाज अगर किसी के पास है तो वे हैं माता-पिता। बेंगलुरू का एक केस इसकी नजीर है। यहां 14 साल की एक लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। क्यों? क्योंकि उसके एक फेसबुक फे्रंड ने उसे धोखा दिया। घटना पिछले साल सितंबर की है। पुलिस का कहना है कि फेसबुक फे्रंड से लड़की ऑनलाइन बातचीत के दौरान ही प्यार करने लगी थी। उसके परिवार को इस बारे में पता ही नहीं था। यहां तक कि परिवार यह भी नहीं जानता था कि लड़की इंटरनेट पर समय भी गुजार रही है।
Source: Young India In Shackles Of Facebook Fever - Management Funda By N. Raghuraman - Dainik Bhaskar 20th December 2013
इंदौर में एक लड़का आदतन कक्षाएं बंक कर रहा था। जब कक्षाएं चल रही होतीं वह यहां-वहां घूमता पाया जाता। उसकी आंखें हमेशा चढ़ी हुई, उनींदी सी रहतीं। कक्षा में क्या हो रहा है इसमें उसका कोई इंटरेस्ट ही नहीं था। जब उसके माता-पिता से बातचीत की गई तो सच का पता चला। वह बच्चा रोज सुबह उठते ही सबसे पहले अपना फेसबुक अकाउंट चैक करता। रात में सोने से पहले भी यही काम। बीच-बीच में जब टाइम मिलता तब भी मोबाइल पर फेसबुक अकाउंट पर लगातार नजर रखता था। यानी वह ज्यादातर वक्त फेसबुक पर ही बिता रहा था। उस बच्चे की पर्याप्त नींद नहीं हो पा रही थी। यह शायद उसके लिए जरूरी भी नहीं था। इसके बजाय वह फेसबुक की अपनी जरूरत के लिए ज्यादा देर तक जागते रहना पसंद करता था। यानी उस पर पूरी तरह फेसबुक फीवर हावी था।
ऐसे ही एक 11वीं कक्षा की लड़की ने अपने मिडिल नेम के साथ फेसबुक पर अकाउंट बनाया। उसकी तस्वीरों से किसी ने छेड़छाड़ कर दी। वह अपने रिश्तेदारों को मुंह दिखाने लायक नहीं रही। सच बर्दाश्त करने के हालात नहीं रहे। थक-हारकर उसे शहर छोड़कर कहीं दूसरी जगह जाना पड़ा।
ये तीन चंद उदाहरण हैं। ये बता रहे हैं कि भारत में युवाओं को फेसबुक फीवर जकड़ रहा है। ऐसी घटनाएं चिंताजनक स्तर तक आम हो रही हैं। एक अध्ययन बताता है कि फेसबुक या ऐसी ही अन्य सोशल साइट्स पर करीब 77 फीसदी बच्चों को परेशान किया जाता है। अनजान यूजर्स उनके अकाउंट और तस्वीरें से छेड़छाड़ करते हैं। इससे ज्यादा अहम ये कि सिर्फ 50 फीसदी माता-पिता ही मानते हैं कि उनका बच्चा फेसबुक पर ऐसे किसी अनुभव से गुजरा है। कई माता-पिता को यह पता ही नहीं उनका बच्चा फेसबुक पर कितना वक्त जाया कर रहा है। अध्ययन के मुताबिक एक भारतीय बच्चा औसतन हर सप्ताह करीब नौ घंटे तक फेसबुक जैसी साइट्स पर बिताता है। इनमें सर्वाधिक लोकप्रिय साइट निश्चित तौर पर फेसबुक ही है। अध्ययन से यह भी जाहिर हुआ कि हर भारतीय फेसबुक यूजर करीब-करीब रोज इस साइट पर समय खर्च करता है। कई यूजर्स तो जरूरत से ज्यादा ही समय इस पर बर्बाद करते हैं। यहां तक कि वे इसकी वजह से अपने परिवार और दोस्तों को भी नजरंदाज करने लगते हैं। इस काल्पनिक संसार से वे इतने जुड़ जाते हैं कि असल दुनिया से उनका नाता टूटने लगता है।
ऐसे में कई स्कूलों के प्रबंधन ने अभिभावकों को ताकीद करना शुरू कर दिया है। वे माता-पिता को बच्चों पर अतिरिक्त नजर रखने के लिए कह रहे हैं। ताकि वे यह जान सकें कि उनका बच्चा इंटरनेट पर कब-क्या कर रहा है। देश के कई अग्रणी स्कूल तो माता-पिता की अतिरिक्त कक्षाएं ले रहे हैं। इन कक्षाओं में अभिभावकों को इंटरनेट फिल्टर्स के बारे में बताया जाता है। मुंबई में पिछले दिनों ऐसी कक्षाएं लगाई गईं। इनमें अभिभावकों को नेट नैनी पैरेंटल कंट्रोल 6.5, साइबर सिटर-11, प्योर साइट पीसी-2011, के-9 वेब प्रोटेक्शन आदि के बारे में बताया गया। ये सभी इंटरनेट फिल्टर्स हैं। इनके मार्फत इंटरनेट सर्फिंग को बच्चों के लिहाज से सुरक्षित किया जा सकता है। ये फिल्टर्स अवांछित साइटों और कंटेंट को लॉक कर देते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि फेसबुक जैसी साइटें लोगों से बातचीत का, संपर्क का बेहतर जरिया हैं। लेकिन इनमें वह ताकत भी है कि वे आपके घर में, फ्रेंड सर्किल में, आपसी संबंधों में दखलंदाजी कर सकें। इसलिए सावधानी बेहद जरूरी है। चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में सबसे ज्यादा ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल होता है। इंटरनेट की लत पर सबसे ज्यादा अध्ययन भी इन्हीं देशों में हुए हैं। लगातार मिल रहे खतरनाक संकेतों के मद्देनजर दक्षिण कोरिया की सरकार ने इंटरनेट की लत को सार्वजनिक समस्या घोषित कर दिया है। इसी तरह चीन ने इस बमारी से निजात पाने की इच्छा रखने वालों के लिए पूरे देश में करीब 300 केंद्र खोले हुए हैं। इससे इस बढ़ रही नई समस्या का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
Source: Young India In Shackles Of Facebook Fever - Management Funda By N. Raghuraman - Dainik Bhaskar 20th December 2013
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