Thursday, December 26, 2013

Good Deeds Always Come Back To You - Management Funda - N Raghuraman - 26th December 2013

पानी में फेंकी गई रोटी हमेशा आपके पास ही लौटकर आती है


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन


नीनन वर्गीज एक क्रिश्चियन थे। वे एक संस्थान में कैंटीन चलाया करते थे। इस नाते वे अक्सर छात्रों के संपर्क में रहा करते थे। कई मौकों पर उनकी कैंटीन में आने वाले छात्रों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। वर्गीज ऐसे छात्रों को मुफ्त में खाना खिलाया करते थे। अलग-अलग आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों में से कुछ उनके पैसे दे दिया करते थे। कुछ छात्र पैसे नहीं दे पाते थे। क्रिसमस के मौके पर वर्गीज ऐसे गरीब छात्रों को अपने घर दावत पर बुलाया करते थे। उनका घर एक झोपड़ी थी। दावत में कई व्यंजनों के अलावा फिश करी भी होती थी। यह वर्गीज के गृह राज्य केरल का सबसे मशहूर व्यंजन है। वर्गीज ने इस परंपरा को साल दर साल कायम रखा। छात्रों के कई बैच आए और गए। वर्गीज के यहां अक्सर खाना खाने वाले कई छात्रों को अच्छी जगह पर नौकरी भी मिल गई। इस संस्थान के कई पुराने छात्र अभी भी वर्गीज को उनके उस विनम्र व्यवहार के लिए याद करते हैं। जब कम तनख्वाह होने के बावजूद वे गरीब छात्रों को अपने घर दावत पर बुलाया करते थे। 

Source: Good Deeds Always Come Back To You - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 26th December 2013

करीब 10 साल बाद वर्गीज ने केरल के प्रमुख त्यौहार ओणम के मौके पर भी दावत देना शुरू कर दिया। इस दौरान कभी-कभी 70 से ज्यादा छात्र उनके यहां केरल के व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए पहुंचते। इनमें ऐसे छात्र भी हुआ करते थे जिनको वर्गीज नहीं पहचानते थे। यह परंपरा वर्गीज की क्षमता-अक्षमता या उनके धार्मिक आस्था से कहीं ज्यादा थी। वे बेहद गर्मजोशी से हर साल इस परंपरा को चलाते रहे। उस दौर के कई छात्र जिनके पास खाने के पैसे नहीं हुआ करते थे वे वर्गीज की दावतों को हमेशा याद रखा करते थे। 

यहां बात हो रही पुणे स्थित मशहूर फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई)की। वर्गीज यहां की कैंटीन में सुपरवाइजर हुआ करते थे। यहां से नीनन के सामने कई लोग निकले और बड़ी शख्सियत बने। इनमें संजय लीला भंसाली, राजकुमार हीरानी और रेसूल पोकुट्टी जैसे नाम शामिल हैं। इनके अलावा कई और ऐसे लोग हैं जो आज फिल्म इंडस्ट्री में काम और नाम पा चुके हैं या फिर अभी संघर्ष कर रहे हैं। 

बीते 38 वर्षों में वर्गीज की नौकरी अस्थायी कर्मचारी के बतौर ही चलती रही। बीते अक्टूबर माह में जब वर्गीज रिटायर हुए तो उनकी आखिरी तनख्वाह थी 3,650 रुपए। इस साल भी वर्गीज की योजना खड़कवासला के उत्तम नगर में मौजूद अपनी उसी झोपड़ी में क्रिसमस की दावत देने की थी, लेकिन इस बार स्थिति पहले से अलग थी। संस्थान के पुराने छात्रों ने क्रिसमस की दावत से पहले उन्हें 3.46 लाख रुपए का एक चेक सौंपा। यह राशि 16-18 पूर्व छात्रों ने आपस में जमा कर उन्हें सौंपी। यह आइडिया था संस्थान के वर्ष 2004 के बैच के छात्र रहे नीलांजन दत्ता और रूपक दास का। वे दोनों यहां फिल्म एडिटिंग सीखने आए थे। इसमें कई दूसरे छात्रों ने भी सहयोग दिया। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। 

अंग्रेजी की पुरानी कहावत है, पानी में फेंकी गई रोटी हमेशा आपके पास लौटकर आती है। हालांकि कई लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे और अपने-अपने तर्क देंगे। उनको आप वर्गीज की कहानी से जवाब दे सकते हैं।


फंडा यह है कि  …… 

आपके द्वारा किए हर अच्छे और बुरे काम का फल हमेशा आपको मिलता है। आज जो भी आप अपने जीवन में करते हैं वो भविष्य में लौटकर आपके ही पास आता है। वो भी आपके इस दुनिया को छोड़कर जाने से पहले।


Source: Good Deeds Always Come Back To You - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 26th December 2013

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