हर व्यक्ति का जिंदगी में अपना एक मिशन होता है
मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन
दीपा बिस्वास पश्चिम बंगाल के सेरामपुर की सांवली लड़की थी, लेकिन कोलकाता में सेंट मैरी एंड लोरेटो की स्टूडेंट होने के नाते उन्हें अपनी जिंदगी की बेस्ट टीचर मिलीं। जियोग्राफी की टीचर मदर टेरेसा। दीपा शुरू से प्रतिभाशाली थी। मदर टेरेसा जैसी समर्पित टीचर पाकर प्रतिभा में और निखार आया। इससे वह एक स्कॉलर बनकर प्रेसीडेंसी कॉलेज पहुंचीं। दीपा लंबी थी। फीचर भी अच्छे थे। पढऩे में और भी अच्छी। कई शिक्षकों की प्रिय तो बनना ही था। जब बॉटनी में फस्र्ट-क्लास-फस्र्ट आईं तो पूरे संस्थान में जश्न मना। जश्न के बीच भी दो लोग निराश थे।
Source: Each Person Has A Mission In Ones Life - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 4th December 2013
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी प्रशासन में विदेश मंत्री डीन रस्क ने दीपा को सरकारी खर्च पर वैज्ञानिक बहस के लिए बुलाया था। लेकिन दो लोग तब भी निराश थे। निराशा की वजह यह नहीं थी कि उनकी प्रिय बेटी को कई लोग देखेंगे, बल्कि यह थी कि उसे कोई देखना नहीं चाहता। कोई भी उससे शादी नहीं करना चाहता था। इसकी वजह थी दीपा का सांवला रंग। आज दीपा 72 वर्ष की हो चुकी हैं। उन्हें आज भी वह सब याद है कि किस तरह वह बड़ी हुई। समाज में उनकी त्वचा के रंग की वजह से उन्हें बदसूरत माना जाता था। दीपा को अमेरिका भेजने में उनके माता-पिता के पास खुश होने की कई वजहें थीं। एक यह भी थी कि दोनों उसके लिए एक अदद दूल्हा नहीं तलाश पाए।
दीपा को अपनी पहली अमेरिकी यात्रा के दौरान तनाव से गुजरना पड़ा। दीपा अमेरिका में ही रह गईं। वहां उन्हें पहला पति भी मिला, लेकिन शादी के कुछ ही वर्ष बाद कार दुर्घटना में वह भी छिन गया। यह करीब 37 साल पहले की बात है। दीपा को जिंदा रहने के लिए दो सर्जरी से गुजरना पड़ा। कोलकाता अभी भी दीपा को स्वीकार करने को तैयार नहीं था, क्योंकि अब वह विधवा थी। उनके ही श?दों में समाज विधवा महिलाओं के प्रति बहुत अच्छी सोच नहीं रखता। उन्हें अपशकुन समझा जाता था। दीपा को जिंदगी में एक बार फिर खुद से जूझना पड़ा। ऐसे में उन्होंने फिर अमेरिका जाने का फैसला किया। कैलिफोर्निया गईं। वहां 60 वर्ष की होने तक उन्होंने पहले प्रोफेसर और फिर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम किया। उन्हें अमेरिका में रहते हुए 50 वर्ष हो गए हैं। लेकिन अब भी उनके दिमाग में यही है कि महिलाओं के साथ बर्ताव वैसा ही होता होगा, जैसा 50 साल पहले होता था।
लड़कियों को त्वचा का रंग सांवला होने की सजा आज भी मिलती होती। दीपा के दूसरे पति रिचर्ड विलिंघम एक जियो-फिजिसिस्ट हैं। उनकी मदद से दीपा ने एक स्कूल शुरू करने के सपने को पूरा करने का फैसला किया। उन्होंने एक गैर-लाभकारी संगठन- पेस यूनिवर्सल बनाया। इसका मुख्य जोर है महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा देना। इस संगठन के बोर्ड का मानना था कि शुरुआत कोलकाता में स्कूल खोलने से होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि दीपा का जन्म वहां हुआ और मदर टेरेसा उनकी टीचर थीं। इस वजह से दीपा कोलकाता लौट आई और बच्चों के साथ काम करना शुरू किया। पेस ने 80 वर्गफीट के एक कमरे में पियाली शुरू किया था। स्कूल में 25 लड़कियां थीं। अब रोटरी भी प्रोजेक्ट में उसके साथ है। 3 दिसंबर को इसने दस साल पूरे किए। अब यह स्कूल से बढ़कर दो एकड़ के परिसर में फैले एक कम्युनिटी सेंटर के तौर पर विकसित हो चुका है। 200 से ज्यादा लड़कियों और उनकी माताओं को यहां सोशल एजुकेशन दी जाती है। जब यह बच्चे उन्हें दीदा (दादी) कहकर पुकारते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। बच्चे उन्हें देखते ही घेर लेते हैं। गले लगा लेते हैं। उनके सांवले गालों को चूमते और हाथों को थामने से नहीं थकते।
फंडा यह है कि...
जब समाज आपको चिढ़ाए यह गाना याद करना कि - 'कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना'। जिंदगी में अपने मिशन पर आगे बढ़ जाना। यह साबित करने के लिए कि भगवान ने आपको खास कारण से जन्म दिया है।
Source: Each Person Has A Mission In Ones Life - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 4th December 2013
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