'आसमान महल' का जमीनी फारुख शेख
परदे के पीछे - जयप्रकाश चौकसे
आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसके चंद घंटे पहले ही सातवें-आठवें दशक में समानांतर सिनेमा में आम आदमी की भूमिका करने वाले कलाकार फारुख शेख की मृत्यु दुबई में हो गई। हालांकि इस संयोग का कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है और न ही दल के लिए कोई अशुभ संकेत है। ज्ञातव्य है कि फारुख शेख गुजरात के ग्रामीण क्षेत्र के जमींदार घराने के युवा थे और उनके पिता भी खुले विचारों के थे। उन्होंने पारसी महिला से विवाह किया था। इस तरह फारुख शेख के जीन्स में मुस्लिम एवं पारसी श्रेष्ठी वर्ग के लोगों का प्रभाव था। अधिकांश फिल्मों में वे गरीब या मध्यम वर्ग के युवा की भूमिकाएं करते रहे। केवल मुज्जफ्फर अली की 'उमरावजान अदा' में सामंतवादी वातावरण में सांस लेने वाली फिल्म में उन्होंने अभिनय किया। उसी काल खंड में अमोल पालेकर ने भी आम आदमी की भूमिकाओं का निर्वाह किया। अमोल के लिए वे भूमिकाएं उसका 'भोगा हुआ यथार्थ' थी परंतु फारुख शेख श्रेष्ठी वर्ग के थे, इसके बावजूद उन्होंने अत्यंत विश्वसनीयता से आम आदमी की भूमिकाओं का निर्वाह किया। यह बात भी गौरतलब है कि उसी काल खंड में मुख्यधारा की फिल्मों में संजीव कुमार अभिनय में स्वाभाविकता के महान कलाकार थे और फारुख शेख वही काम सार्थक समानांतर फिल्मों में कर रहे थे। अभिनय की दृष्टि से संजीव कुमार और फारुख शेख सगे भाइयों की तरह थे। पर उनकी फिल्मों का स्केल अलग था।
Source: Grounded Farooq Sheikh Of Sky Palaces - Parde Ke Peeche By Jaiprakash Chouksey - Dainik Bhaskar 31st December 2013